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उत्तराखंड का परशुराम मंदिर | Parshuram Temple in Uttarkashi Uttarakhand

उत्तराखंड का परशुराम मंदिर | shri Parshuram Temple in Uttarkashi Uttarakhand

नमस्कार दोस्तो आज हम आप लोगो को अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के परशुराम मंदिर के बारे में बतायेंगे कृपया पोस्ट को अंत तक पढ़े।



भगवान परशुराम का यह मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है और परशुराम भगवान का यह बहुत ही दुर्लभ मंदिर है। 
वैसे कम संख्या में ही भगवान श्री परशुराम के मंदिर भी पाए जाते हैं, इन्हीं मंदिरों में से एक है यह मंदिर, मंदिर मुख्य कस्बे में मौजूद भगवान दत्तात्रेय के मंदिर के पास ही स्थापित है।



हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना गया है अक्षय तृतीय को इनकी जयंती भी मनायी जाती है। मान्यता है कि कार्तवीर्य के पुत्र द्वारा परशुराम की गैरमौजूदगी में आश्रम पर हमला कर जमदग्नि ऋषि का वध कर दिया गया था तब परशुराम ने पृथ्वी को क्षत्रीयविहीन करने की प्रतिज्ञा की थी उन्होंने 21 बार धरती को क्षत्रियविहीन किया था।



भगवान परशुराम को शंकर भगवान से दिव्य अस्त्र प्राप्त थे। महाभारत काल में भीष्म व कर्ण परशुराम के ही शिष्य थे, उन्हें परशुराम ने ही धनुर्विद्या का ज्ञान दिया था।

उत्तरकाशी में भगवान श्री परशुराम जी के मंदिर में ही पुराणों के अनुसार परशुराम जी ने इसी जगह पर तपस्या की थी।
यहाँ मौजूद मूर्ति पर अंकित ब्यौरे के अनुसार राजा सुदर्शन शाह के शासनकाल में मंत्री रहे धर्मदत्त द्वारा 1842 में इसका जीर्णोंद्धार कराया गया था।




स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर के गर्भगृह में पहले भगवान विष्णु की चतुर्भुजी मूर्ति भी विराजमान हुआ करती थी इसके अलावा उनकी दशावतार व नवग्रह मूर्तियाँ भी यहाँ हुआ करती थीं संरक्षण के भव में इन मूर्तियों को चोरों, तस्करों ने गायब कर दिया।



400 साल बाद यह परंपरा तोड़ दी गयी 


2016 में परशुराम मंदिर तब चर्चा में आया था जब इसके दरवाजे दलितों के लिए खोल दिए गए थे उत्तराखण्ड के जौनसार बावर क्षेत्र के दरवाजे शताब्दियों से दलितों के लिए बंद हुआ करते थे इस क्षेत्र के दलितों द्वारा एक दशक से भी ज्यादा समय से मंदिरों में प्रवेश के लिए आन्दोलन भी चलाया जा रहा था।
2016 की शुरुआत में परशुराम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष जवाहर सिंह ने घोषणा कर दी कि परंपरा के नाम पर दलितों और महिलाओं को मंदिर प्रवेश से रोकना ठीक नहीं है अतः मंदिर के द्वार दलितों व महिलाओं के लिए खोल दिए गए थे।
तब से इस मंदिर में सब लोगो का आना जाना है। कोई भी मंदिर में भगवान श्री परशुराम के दर्शन कर सकता है।


श्री परशुराम की जय।



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