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श्री कण्डोलिया देवः सप्तरत्न: स्त्रोतम् आरती

श्री कण्डोलिया देवः सप्तरत्न: स्त्रोतम् आरती



वन्दे त्वम् करूणाँँकरम् भूमि देवायः पालकम् 
वन्दे भक्तजनः प्रियम् मात् कालिके नन्दनम् 

श्री कण्डोलिया देवाः नमो नमम् ।।१।।टेक

गौर भैरवाय रूप त्वम् वरदानी गिरिजा शिवम् 
कत्यूरी वंश : गोत्र उत्पनः झालुराई कुल दीपकम् 

श्री कण्डोलिया देवाः नमो नमम् ।।२।।टेक

जनमहि देवाः धुमकोटम् गढ चम्पावत वासनम्
झालीमाली कुल भूदेविम् गुरू गोरख भक्तम् प्रियम् 

श्री कण्डोलिया देवाः नमो नमम् ।।३।।टेक

गोरि गंगाः सने तटे भाना घेवरः आश्रयम् 
कृष्ण स्वरूपा कृष्णायाम् ग्वेल गोरिया गोलू देवम्

श्री कण्डोलिया देवाः नमो नमम् ।।४।।टेक

श्वेत उष्णीशः यज्ञोपवितम् ललाट चन्दन अक्षतम् 
श्वेत ध्वजा श्वेत अश्वरूढम् कपाल मौलि कन्धरम् 

श्री कण्डोलिया देवाः नमो नमम् ।।५।।टेक

हस्त कृपाण घर धर्नुधारी पिवतः सुगन्धित तमालम् 
न्यायधीष न्याईल राजन् न्याय न्यायेन त्वम् प्रियम्

श्री कण्डोलिया देवाः नमो नमम् ।।६।।टेक

वृक्षः शिलंग निज आसनम् परचाधारी देव त्वम्
शष्टाँगतः कुरू प्रणाँँयम् धूप दीप दुग्ध नैवेद्यम् 

श्री कण्डोलिया देवाः नमो नमम् ।।७।।टेक 

सप्तरत्नः स्त्रोतम् ते पठन्ति च मनोहरम्
दुखः दरिद्र भयः भव मुक्तम् कण्डोलिया देवाः शरणाँँगतम्
श्री कण्डोलिया देवा : नमो नमम्


सिद्धि मंत्र -
• ॐ श्री गौर भैरवाये नमः
• ॐ धर्नु घराये नमः
• ॐ श्वेत वस्त्र धराये नमः
• ॐ न्याय प्रिये न्यायधीषाये नमः
• ॐ श्वेत अश्व रूढाये नमः 
• ॐ क्षेत्रपाल भूमि देवाये नमः 
• ॐ श्री गोरिल कण्डोलिया देवाये नमः

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