उत्तराखंड का हर्बल गाँव ( घेस जिसके आगे नहीं देश )।
उत्तराखंड का हर्बल गाँव ( घेस जिसके आगे नहीं देश )।
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में स्थित एक ऐसे गाँव की कहानी के बारे में बताएंगे जो उत्तराखंड का हर्बल गाँव कहलाता है।
यह गाँव है घेस गाँव जो उत्तराखंड के चमोली जिले में देवाल ब्लॉक में स्थित है।
उत्तराखंड हिमालय की तलहटी में कई नायाब और नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर गाँव बसे है। घाटियों से लेकर चोटियों के बीच इन गाँवों की सुन्दरता सभी को मोह लेती है। हिमालय के बेहद करीब इन गांवों में आज भी लोक संस्कृति , रहन सहन , वेशभूषा और परंपराओं से जीवित है।
ये गाँव चमोली गढ़वाल के देवाल ब्लॉक में स्थित है, देहरादून से ऋषिकेश - बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर कर्णप्रयाग से इस गाँव के लिए सड़क जाती है, कर्णप्रयाग से ग्वालदम नेशनल हाइवे पर थराली तक जाना है। उसके बाद थराली से देवाल ब्लॉक आता है, और फिर देवाल से आगे घेस गाँव के लिए करीब 32 किमी की दूरी पर त्रिशूल पर्वत की तलहटी में बसा है।
घेस गाँव के लिए एक प्रसिद्ध कहावत है, यही तो है घेस जिसके आगे नही देश। ऐसा इसलिए कहा गया है कि यहां पर हिमालय के बाद चाइना तिब्बत बॉर्डर है। पहले घेस गाँव में ही हिमनी , बलाण शामिल थे और इससे आगे फिर हिमालय स्थित है।
गाँव अब परंपरागत खेती के साथ ही जड़ी बूटी का उत्पादन भी शुरू हो गया है। ग्रामीण कटकी , अतीस , कुटू , पुष्करमोल , चोरु , वन ककड़ी और चिरायता जैसी जड़ी बूटियों का उत्पादन कर रहे है सबसे ज्यादा उत्पादन कटकी का किया जा रहा है जो 15 सौ रु किलो बिक रहा है। गाँव में वन विभाग का विश्राम गृह भी है और ग्रामीण पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए होम स्टे भी खोल रहे है।
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.