उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल देवलसारी | Tourist Place Devalsari
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल देवलसारी के बारे में बताएंगे।
देवलसारी-
देवदार की दुनिया पहाड़ों में घने जंगलो के बीच कुछ पल बिताना किसे अच्छा नही लगता और जब देवदार के जंगल हो तो फिर ये लम्हे और भी यादगार हो जाते है। उत्तराखंड के टिहरी जिले में मसूरी वन प्रभाग की देवलसारी रेंज में देवदार का विशाल जंगल है। थत्यूड़ ब्लॉक में स्थित ये इलाका अपने देवदार के जंगलों के लिए विख्यात है। अंग्रेजो के समय यहाँ पर वन विश्राम भवन भी बनाया गया है।
देवलसारी फॉरेस्ट गेस्ट हाउस थत्यूड़ से 11 किमी और देहरादून से करीब 80 किमी की दूरी पर स्थित है।धनोल्टी की तर्ज पर यहाँ भी ईको पार्क विकसित किया जा रहा है। सन 1918 में यहाँ पर गेस्ट हाऊस बनाया गया और अंग्रेजों को ये जगह काफी पसंद थी देवलसारी फारेस्ट गेस्ट हाऊस के चारो तरफ देवदार के जंगल है । जबकि इसके ऊपर मोरू , बांज , बुराँश , कौल का जंगल है। देवलसारी की ऊँचाई समुद्र तल से 1722 है।
देवलसारी से एक ट्रेक जाता है जिसे लुंसू टॉप कहा जाता है इसकी दूरी है 7.5 किमी है। इस देवदार के जंगल के आस पास कई गाँव है जिनमे मोलधार , ओडारसू , बुडकोट , बंगशील , पूजालड़ी और तेवा गाँव है। इस घाटी में ओतड़ गाँव से नागटिब्बा का ट्रैक शुरू होता है जो करीब 10 किमी पर स्थित है। इन इलाकों में भी जौनपुरी संस्कृति की झलक दिखाई देती है। देवलसारी में वन विभाग ने एक नर्सरी भी तैयार की है जिसमे बांज , बुराँश , देवदार , पदम , कचनार , सेमला , तेजपत्ता , भमोरा और पडंग , चोलु और रिंगाल की पौध तैयार की जाती है।
स्थानीय जनश्रुति है कि जिस जगह पर देवलसारी गेस्ट हाउस है वहाँ पर बँगशील गाँव के खेत और छानियाँ हुआ करती थी। इस इलाके में देवदार के पेड़ नही हुआ करते थे एक बार एक साधु आये और रात को रुकने आये लेकिन छानी वाले ने मना कर दिया गुस्से में आकर साधु ने कहा कि सुबह होने से पहले यहाँ पर या तो तुम्हारी चौवरी रहेगी या फिर मेरी दीवारी रहेगी। उसके बाद अगली सुबह उन खेतों में देवदार के पेड़ उग आए तब से यहाँ पर देवदार के जंगल स्थित है। यह पूरा देवदार का जंगल खेतों के बीच खड़ा है ।
यहां पर कोणेश्वर महादेव का मंदिर है जो शिव भगवान को समर्पित है। मंदिर में जुलाई के समय मेला का आयोजन किया जाता है उस समय यहाँ काफी भीड़ रहती है ।
उत्तराखंड के देवलसारी स्थित कोणेश्वर महादेव मंदिर बनने के पीछे की मान्यता है कि एक दिन भगवान शिव यहाँ पर घूमने आए। उन्हें यह जगह बहुत अच्छी लगी। उन्होंने साधु का वेश बनाकर ग्रामीणों से यहाँ पर बसने के लिए थोड़ी सी जगह माँगी। मगर ग्रामीणों ने यह कहकर मना कर दिया कि यहाँ पर जौ के खेत हैं। इसलिए उन्हें बसने के लिए नहीं दे सकते।
भगवान शिव ने रातोंरात सारे जौ के खेतों को देवदार में बदल दिया। इस तरह से मंदिर का निर्माण हुआ। यहाँ पर मंदिर के बाहर के दो पत्थरों की कहानी है कि यह एक शिवलिंग था। एक गौमाता यहाँ पर सुबह-शाम आकर दूध गिराकर चली जाती थी। घर पर किसान को गाय का दूध ही नहीं मिलता था। जब किसान को यह बात पता चली तो उसने हथौड़े से पत्थर पर वार किया, पत्थर का तो कुछ नहीं हुआ, हथौड़ा टूट गया। इसके बाद से मंदिर में आने वाले ग्रामीण पत्थर की भी पूजा करने लगे।





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