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उत्तराखंड राज्य की जलवायु

उत्तराखंड राज्य की जलवायु

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य की जलवायु के बारे में बताएंगे।



जलवायु-

किसी भी स्थान कि जलवायु वहां कि अक्षांशीय एवं देशांतरीय स्थिति, जल और स्थल का वितरण, समुद्र तल से दूरी, उँचाई, उच्चदाब, वायुदाब एवं पवनो का धरातल पर वितरण अनेक कारणों से होता है।

उत्तराखंड राज्य की जलवायु-

उत्तराखंड राज्य में जलवायु में बहुत ही अधिक विषमता देखने को मिलती है, आज हम आपको राज्य में तीन सामान्यत ऋतु के बारे मे बताएंगे -
1. ग्रीष्म ऋतू
2. वर्षा ऋतू
3. शीत ऋतू
ग्रीष्म ऋतू को स्थानीय भाषा मे रूडी व खर्साउ, वर्षा को ऋतू को बसगाल व चौमास तथा शीत ऋतु को स्यून्द व शीतकला नामों से जाना जाता है।

1. ग्रीष्म ऋतू-

भू-मध्य रेखा से सूर्य जब कर्क रेखा की ओर बढ़ता है तो ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है, उत्तराखंड राज्य में ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव मार्च के मध्य से मध्य जून तक रहता है।
ताप बढ़ने वह दाब घटने के कारण निचले भागों में तड़प  गर्जन के साथ छिटपुट वर्षा कभी तूफान आते हैं।

मई से जून तक का तापमान सर्वाधिक रहता है, इस दौरान राज्य में सामान्यता उष्णकटिबंधीय दशाएं पाई जाती हैं। फिर भी मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा तापमान कम रहता है, हिमालय की चोटियां तो  सदैव हिमाछदित् रहती है।
शिवालिक अर्थात वाहे हिमालय क्षेत्र का ग्रीष्मकालीन तापमान 29.4 से 38 डिग्री सेल्सियस रहता है जबकि इसके दक्षिणी तथा निचली घाटियों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता हैं।

शिवालिक की अपेक्षा मध्य हिमालय क्षेत्र का तापमान कम रहता है, कुछ हिमालय क्षेत्र में तापमान कम रहता है, उत्तराखंड देहरादून का अधिकतम तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान 21 से  22 डिग्री सेल्सियस  नैनीताल का अधिकतम 24.7 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम 8 डिग्री सेल्सियस तथा हरिद्वार का 38 डिग्री सेल्सियस रहता हैं। तो ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है, उत्तराखंड राज्य में ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव मार्च के मध्य से जून मध्य तक रहता हैं। ताप बढ़ने वह दाब घटने के कारण निचले भागों में तड़प गर्जन के साथ छिटपुट वर्षा कभी तूफान आते हैं।

2. वर्षा ऋतू -

उत्तराखंड की इस ऋतु का कालावधि मध्य जून से अक्टूबर तक है। लेकिन सर्वाधिक वर्षा जुलाई-अगस्त तथा सितंबर में होती है। गुजरात के तट से चलने वाला दक्षिण पश्चिम मानसून राज्य में दक्षिण पूर्व दिशा से 15 जून के आस-पास प्रवेश करता है, कि इस मानसून से राज्य में कम वर्षा होती है। अधिकांश वर्षा बंगाल की खाड़ी वाले मानसून से होती है इस ऋतु में राज्य में सर्वाधिक वर्षा औसतन 150 से 200 सेंटीमीटर तक होती है।

* राज्य के प्रमुख क्षेत्रों का वार्षिक वर्षा परिसर इस प्रकार है-

1. सबसे कम वर्षा (40 से ऋतु का कालावधी मध्य जून से - 80) सेंटीमीटर
वृहद हिमालय के ऊपरी व उत्तरी क्षेत्रों में।

2. कम वर्षा (80 -120) सेंटीमीटर
मध्य हिमालय क्षेत्र के ऊपरी व उत्तरी क्षेत्रों में।

3. अधिक वर्षा (120 - 200)  सेंटीमीटर
दून/ द्वार काली बेसिन तथा मध्य हिमालय के दक्षिणी डालो वह नदी घाटियों में।

4. अधिकतम वर्षा (200) सेंटीमीटर से अधिक
शिवालिक, भाबर एवं तराई क्षेत्रों में।


3. शीत ऋतु -

उत्तराखंड में इस ऋतु का प्रभाव मध्य अक्टूबर से मध्य मार्च तक रहता है। शीत ऋतु के शुरू होते ही उत्तराखंड राज्य में आकाश स्वच्छ हो जाता है, और तापमान गिरने लगता है। जनवरी में तापमान अपने न्यूनतम बिन्दु पर पहुंच जाता है। जनवरी राज्य का सबसे ठण्डा और जून सबसे गर्म महिना है। इस समय राज्य के 1550 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले लगभग सभी स्थानों पर हिमपात होना शुरू हो जाता है, लेकिन 2800 मी. से निचले क्षेत्रों का हिम शीघ्र ही पिघल भी जाता हैं।

उत्तराखंड में दिसम्बर और जनवरी के महिने में राज्य में कभी - कभी पाला भी पड़ता है। तथा सूर्योदय के पहले एवं बाद में 2-3 घण्टों तक कोहरा छाया रहता हैं। इस ऋतु ( अधिकांश दिसम्बर - जनवरी - फरवरी में ) में पश्चिमी चक्रवातों, जो कि उत्तर दिशा से जाता है, उसके साथ कभी - कभी ओलों की भी वर्षा होती है। इस समय उत्तराखंड में पौढ़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, अल्मोड़ा व देहरादून जिलों में सर्वाधिक वर्षा होती हैं।




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