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उत्तराखंड के लोक देवता गोल्ज्यू देवता

उत्तराखंड के लोक देवता गोल्ज्यू देवता


गोलू ( गोल्ज्यू ) देवता- 



उत्तराखंड की पावन धरा को ऋग्वेद में देवभूमि कहा गया है, यह धरा ऐसी है, जहाँ देवी - देवताओं का सदैव वास रहता है। मनीषियों की पूर्ण कर्मस्थली भी इस पावन भूमि को कहा जाता है। यहाँ अनेक ऐसे चमत्कारिक धार्मिक स्थल हैं, जहाँ की ख्याति देश ही नहीं अपितु विदेशों तक है। 

उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल में गोलू देवता को घर - घर में पूजा जाता है। जिन्हें लोग गोलू राजा, बाला गोरिया, ग्वेल देवता, गौर भैरव आदि नामों से जानते हैं। इन्हें न्यायकारी, दूधाधारी, कृष्णावतारी आदि विशेषणों से विभूषित किया गया है। त्वरित न्याय चाहने वाले लोग ईष्ट गोलू देवता के शरण में पहुँचते हैं। 

इन्हें यहाँ लोक देवता का दर्जा प्राप्त है। जनपद बागेश्वर के कपकोट , पोथिंग आदि गांवों में ईष्ट गोलू देवता , देवी भगवती के साथ घर - घर में स्थापित हैं। यहाँ लोग मार्गशीष चैत्र की नवरात्रों में धूमधाम से बाला गोरिया के साथ देवी भगवती की पूजा करते हैं। कुमाऊँ में गोलू देवता के प्रसिद्ध मन्दिर चम्पावत, चितई ( अल्मोडा ) और घोडाखाल ( नैनीताल ) में स्थित हैं।

गोलू देवता को भगवान् शिव का अवतार, गौर भैरव माना जाता है। गौर भैरव श्वेत अश्व की सवारी करते हैं तथा सदैव न्याय करते हैं। कहा जाता है कि यदि आप विवेक, बुद्धि तथा निर्मल हृदय से उनसे कुछ मांगे तो वे आपकी सर्व इच्छा पूर्ण करते हैं। वे इस भाग के इष्ट देवता हैं। यहाँ के कई लोग उन्हें अपना कुल देवता भी मानते हैं। उन्हें कुमाऊँ पहाड़ों के अधिष्ठात्र देव भी माना जाता है।

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