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अल्मोड़ा में घूमने की जगह | Almora Me Ghumne Ki Jagah | Almora Top 10 Tourist Places In Hindi | Almora Tourist Places | Uttarakhand

अल्मोड़ा में घूमने की जगह | Almora Me Ghumne Ki Jagah | Almora Top 10 Tourist Places In Hindi | Almora Tourist Places | Uttarakhand


नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में घूमने की जगह के बारे में बताएंगे कृपया पोस्ट को अंत तक पढ़े।



अल्मोड़ा भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र के हिमालया पर्वत के बीच स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन हैं, अल्मोड़ा शहर के बीच से कोसी नदी और सुयाल नदी बहती हैं। जो इसके आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं। अल्मोड़ा का शांतिपूर्ण जीवन, साहसिक गतिविधियां, अल्मोड़ा की खूबसूरत वाइल्ड लाइफ, अल्मोड़ा के प्रमुख धार्मिक स्थल इसको एक प्रमुख पर्यटक स्थल बनाते हैं। आइये अल्मोड़ा में 10 खूबसूरत घूमने की जगह के बारे में बताते हैं।

1. कटारमल सूर्य देव मंदिर | Katarmal Sun Temple - 

कटारमल मंदिर एक प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है, जिसे बारा आदित्य मंदिर भी कहा जाता है। कटारमल अल्मोड़ा से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है, और यह 2,116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कोसी नदी के पास हवालबाग और मटेला को पार करने के लिए लगभग तीन किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है। कटारमल मंदिर को कुमाऊं में एकमात्र सूर्य मंदिर होने का गौरव प्राप्त हैं।

2. नंदा देवी मंदिर | Nanda Devi Temple -

कुमाऊं क्षेत्र के उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के पवित्र स्थलों में से एक “नंदा देवी मंदिर” का विशेष धार्मिक महत्व है। इस मंदिर में “देवी दुर्गा” का अवतार विराजमान है। समुन्द्रतल से 7816 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर चंद वंश की “ईष्ट देवी” माँ नंदा देवी को समर्पित है। नंदा देवी माँ दुर्गा का अवतार और भगवान शंकर की पत्नी है और पर्वतीय आँचल की मुख्य देवी के रूप में पूजी जाती है। नंदा देवी गढ़वाल के राजा दक्षप्रजापति की पुत्री है, इसलिए सभी कुमाउनी और गढ़वाली लोग उन्हें पर्वतांचल की पुत्री मानते है। कई हिन्दू तीर्थयात्रा के धार्मिक रूप में इस मंदिर की यात्रा करते है क्यूंकि नंदा देवी को “बुराई के विनाशक” और कुमुण के घुमन्तु के रूप में माना जाता है। इसका इतिहास 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। नंदा देवी का मंदिर, शिव मंदिर की बाहरी ढलान पर स्थित है।

3. चितई गोलू देवता मंदिर | Chitai Golu Devta Temple -

अल्मोड़ा से लगभग 8 किमी दूर स्थित, चिताई गोलू उत्तराखंड में एक प्रसिद्ध मंदिर है। गोलु जी देवता की अध्यक्षता में गौर भैरव के रूप में भगवान शिव विराजमान हैं। चित्तई मंदिर को इसकी परिसर में लटकी तांबे की घंटियों द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है। गोलू जी को न्याय का भगवान माना जाता है और यह एक आम धारणा है कि जब कोई व्यक्ति उत्तराखंड में आपके किसी मंदिर में पूजा करता है तो गोलू देवता उसे न्याय प्रदान करते हैं और अपने भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं।

4. पुरातात्विक संग्रहालय जागेश्वर | Archeological Museum Jageshwar -

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मंडल के अंतर्गत एक पुरातत्व संग्रहालय जागेश्वर, जनपद अल्मोड़ा में है। संग्रहालय में प्रवेश निःशुल्क है। संग्रहालय जनता के लिए शुक्रवार को छोड़ कर प्रतिदिन प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक खुला रहता है। संग्रहालय में 63 मूर्तियों को प्रदर्शित किया गया हैं जो जागेश्वर मंदिर समूह तथा निकटवर्ती क्षेत्र से एकत्रित की गयी है। प्रदर्शित मूर्तियों में प्रस्तर निर्मित हिंदू देवी-देवताओ की मूर्तियाँ हैं, जो नवीं शताब्दी ई0 से चैदहवीं शताब्दी ई0 के मध्य की है। इनमे धातु निर्मित पौण राजा की प्रतिमा जो नवीं शताब्दी ई0 की है अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं।

5. कुमाऊं रेजिमेंट संग्रहालय | Kumaon Regiment Museum - 

कुमाऊँ रेजिमेंटल सेंटर (KRC) कुमाऊँ तथा नागा रेजिमेंट द्वारा संचालित एक म्यूजियम है। यहाँ विभिन्न युद्धों में पकडे गए अस्त्र तथा ध्वज प्रदर्शन करने के लिए रखे गए हैं। इसके अतिरिक्त म्यूजियम में ऑपरेशन पवन के समय पकड़ी गयी एलटीटीई की एक नाव भी है।

6. दुनागिरी मंदिर | Dunagiri Temple -

दूनागिरी मंदिर एक हिन्दूओं का प्रसिद्ध मंदिर है जो कि उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट क्षेत्र से 15.1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह मंदिर द्रोणा पर्वत की चोटी पर स्थित है। मां दूनागिरी मंदिर को ‘द्रोणगिरी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्वत पर पांडव के गुरु द्रोणाचार्य द्वारा तपस्या करने पर इसका नाम द्रोणागिरी पड़ा था। इस मंदिर का नाम उत्तराखंड सबसे प्राचीन व सिद्ध शक्तिपीठ मंदिरो में आता है। मां दूनागिरी का यह मंदिर ‘वैष्णो देवी के बाद उत्तराखंड के कुमाऊं में दूसरा वैष्णो शक्तिपीठ है।

7. जागेश्वर धाम | Jageshwar Dham -

उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 35 किलोमीटर दूर स्थित केंद्र जागेश्वर धाम के प्राचीन मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस क्षेत्र को सदियों से आध्यात्मिक जीवंतताप्रदान कर रहे हैं। यहां लगभग 250 मंदिर हैं जिनमें से एक ही स्थान पर छोटे-बडे 224 मंदिर स्थित हैं।

8. बिनसर वन्यजीव अभयारण्य | Binsar Wildlife Sanctuary -

बिनसर वन्यजीव विहार उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के दर्शनीय स्थानों में से एक है। समुद्रतल से लगभग  2420 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं|  बिनसर से  राजसी हिमालय की चोटियों जैसे चौखम्बा, नंदा देवी, नंदा कोट, पंचाचूली और केदारनाथ के मंत्रमुग्ध करने वाले दृश्य दिखाई देते है। बिनसर का मुख्य आकर्षण जीरो पॉइंट से हिमालय की चोटियों का राजसी और मनोरम दृश्य 300 किलोमीटर की दूरी पर है। यह कॉम्पैक्ट पहाड़ी शहर बिनसर वन्यजीव अभयारण्य से घिरा हुआ है, जो दुर्लभ जानवरों, पक्षियों और फूलों की प्रजातियों के आवास के रूप में कार्य करता है।

9. झूला देवी मंदिर | Jhula Devi Temple -

झुला देवी मंदिर रानीखेत शहर से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक लोकप्रिय पवित्र एवम् धार्मिक मंदिर है। यह मंदिर माँ दुर्गा को समर्पित है एवम् इस मंदिर को झुला देवी के रूप में नामित किया गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर 700 वर्ष पुराना है। रानीखेत में स्थित झूला देवी मंदिर पहाड़ी स्टेशन पर एक आकर्षण का स्थान है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य में अल्मोड़ा जिले के चैबटिया गार्डन के निकट रानीखेत से 7 किमी की दूरी पर स्थित है।

10. बिनसर महादेव मंदिर | Binsar Mahadev Temple -

बिनसर महादेव मंदिर एक लोकप्रिय हिंदू मंदिर है। यह मंदिर रानीखेत से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है। कुंज नदी के सुरम्य तट पर करीब साढ़े पांच हजार फीट की ऊंचाई पर बिनसर महादेव का भव्य मंदिर है। समुद्र स्तर या सतह से 2480 मीटर की ऊंचाई पर बना यह मंदिर हरे-भरे देवदार आदि के जंगलों से घिरा हुआ है। हिंदू भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी में किया गया था।

11. कसार देवी मंदिर | Kasar Devi Temple -

कसार देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में एक गाँव में स्थित है। यह कसार देवी मंदिर माता कसार देवी को समर्पित है। स्वामी विवेकानंद जी ने सन 1890 में ध्यान के लिए कुछ महीनों के लिए यहां आए थे। बताया जाता है कि अल्मोड़ा से करीब 22 किमी दूर काकड़ीघाट में उन्हें विशेष ज्ञान की अनुभूति हुई थी।


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