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आखिर क्यों होती है, कांवड़ यात्रा। कांवड़िये हरिद्वार ही क्यों जाते हैं कांवड़ लेने? आपको पता है। कि कौन था पहला कावड़िया।

आखिर क्यों होती है, कांवड़ यात्रा।  कांवड़िये हरिद्वार ही क्यों जाते हैं कांवड़ लेने? आपको पता है। कि कौन था पहला कावड़िया। नमस्कार दोस्तों स्वागत है, आपका हमारे जय उत्तराखंडी समुदाय में आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में यह बताएंगे कि आखिर क्यों होती है, कांवड़ यात्रा। कांवड़िये हरिद्वार ही क्यों जाते हैं कांवड़ लेने? और क्या आपको पता है। कि कौन था पहला कावड़िया। क्यों होती है कांवड़ यात्रा- सावन में हर साल लाखों कांवड़िए हरिद्वार जाते हैं और कांवड़ में गंगाजल भरकर पैदल यात्रा शुरू करते हैं। कांवड़िये अपने कांवड़ में जो गंगाजल भरते हैं, उससे सावन की चतुर्दशी पर भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला था, जिसे जगत कल्याण के लिए भगवान शंकर ने पी लिया था।  जिसके बाद भगवान शिव का गला नीला पड़ गया और तभी से भगवान शिव नीलकंठ कहलाने लगे। भगवान शिव के विष का सेवन करने से दुनिया तो बच गई, लेकिन भगवान शिव का शरीर जलने लगा। ऐसे में देवताओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया। इसी मान्यता के तहत कांवड़ यात्रा शुरू हुई।  कांवड़िये गंगा जल लेन...