भूमिया देवता के रूप में न्यायदेवता गोल्ज्यू देवता गोल्ज्यू न्यायदेवता उत्तराखंड की लोकसंस्कृति में रचे बसे ईस्ट देव हैं। लोकदेवता मूलतः लोकशक्ति के जागरण और जन-प्रतिकार के प्रतीक देव भी बन जाते हैं। इन्हें कभी कृष्णावतारी कहा जाता है तो कभी इनकी शिव के अवतारी देव के रूप में आराधना की जाती है। सजग रचनाकार के लिए इन लोकदेवों का चरित्र हर काल में प्रासंगिक और अपने अपने समय की परिस्थितियों के अनुरूप ही उर्वर बना रहता है। न्यायदेवता ग्वेल के देव चरित्र का विकास भी बहु आयामी धरातल पर हुआ है। वे उत्तराखंड में मुख्य रूप से न्याय देवता के रूप में पूजनीय देव तो रहे ही हैं साथ साथ भूमिया देवता के रूप में भी वे लोकरक्षक देव के रूप में भी उपास्य देव बन गए। सोचने वाली बात यह है, कि पाली पछाऊं के अनेक इलाकों में खासकर रानीखेत मासी मोटर मार्ग में स्थित ‘सुरेग्वेल’ का एक प्राचीन मंदिर आज भी भूमिदेवता के मंदिर के नाम से जाना जाता है। गोल्ज्यू के इसी मंदिर के कारण यह स्थान ‘सुरेग्वेल’ के नाम से प्रसिद्ध है। हे भूमिदेवता ग्वेल तुम दीन - दुखियों के लिए न्यायकारी देव हो देवभूमि में तेरे नाम की महिमा अपरंपार...
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