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आरती साई बाबा की

आरती साई बाबा की

( चाल : आरती श्रीरामायणजी की )



आरती श्रीसाई गुरुवर की । 
परमानन्द सदा सुरवर की ॥ धु ० ॥ 

जा की कृपा विपुल सुखकारी । 
दुःख , शोक , संकट , भयहारी ॥1 ॥ 

शिरडी में अवतार रचाया । 
चमत्कार से तत्त्व दिखाया ॥2 ॥ 

कितने भक्त शरण में आये । 
वे सुखशांति चिरंतन पाये ॥ ३ ॥ 

भाव धरै जो मन में जैसा , 
पावत अनुभव वो ही वैसा ॥4 ॥ 

गुरु की उदी लगावे तनको । 
समाधान लाभत उस मन को ॥5 ॥ 

साई नाम सदा जो गावे । 
सो फल जग में शाश्वत पावे ॥6 ॥ 

गुरुवासर करि पूजा - सेवा । 
उस पर कृपा करत गुरुदेवा ॥7 ॥ 

राम , कृष्ण , हनुमान रूप में । 
दे दर्शन , ' जानत जो मन में ॥8 ॥ 

विविध धर्म के सेवक आते । 
दर्शन कर इच्छित फल पाते ॥9 ॥ 

जै बोलो साईबाबा की । 
जै बोलो अवधूतगुरु की ॥ 10 ॥ 

' साईदास ' आरति को गावै 
घर में बसि सुख , मंगल पावे ॥ 11 ॥

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