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कैंची धाम, बाबा नीब करौरी आश्रम

कैंची धाम, बाबा नीब करौरी आश्रम


नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में स्थित कैंची धाम, बाबा नीब करौरी आश्रम के बारे में बताएंगे।



कैंची धाम मंदिर-

कैंची धाम मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले के भीमताल भवाली से 9 किलोमीटर की दूरी में कैंची धाम आश्रम स्थित हैं। और अल्मोड़ा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। कैंची धाम मंदिर एक तीर्थ स्थल है, जो बाबा नीब करौली महाराज का आश्रम हैं। हर साल 15 जून को यहां पर बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश के श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस स्थान का नाम कैंची मोटर मार्ग के दो तीव्र मोडों के कारण रखा गया है।


कैंची धाम एक हनुमान मंदिर और आश्रम है, जिसे 1960 के दशक में एक महान संत नीम करोली बाबा द्वारा स्थापित किया गया था। यह एक पवित्र मंदिर है जो पहाड़ियों और पेड़ों से घिरा हुआ है। और इसके अलावा यहां बहने वाली नदी है। यहां आप आश्रम में हनुमान जी की महान शक्ति और उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं। इस स्थान को प्रसिद्ध नीब करौरी बाबा के आश्रम के कारण पहचान मिली है।  दर्शनीय स्थान इस स्थान की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। 



कैंची धाम आश्रम दो पहाड़ियों के बीच में स्थित है जो कैंची का आकार बनाने के लिए एक दूसरे को काटती है और पार करती है। इसलिए इस स्थान को "कैंची धाम" कहा जाता है। 10 सितंबर 1973 को बाबा को वीरंधवन में समाधि मिली। 70 के दशक में स्टीव जॉब्स एप्पल के पूर्व सीईओ ने एक बार इस मंदिर का दौरा किया और ध्यान लगाया और मार्क जुकरबर्ग फेसबुक के सीईओ ने भी इस जगह का दौरा किया। हर साल 15 जून को आश्रम द्वारा मेले का आयोजन किया जाता है जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है।

बाबा नीब करौरी महाराज-

बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीब करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। 15 जून को पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। 


बाबा नीब करौली को कैंची धाम बहुत प्रिय था। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान जी का भव्य मन्दिर बनवाया। यहां बाबा नीम करौली महाराज जी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीम करौली महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम और अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है। 


उत्तराखंड का कैंचीधाम एक ऐसी जगह है, जहां सच्चे मन से कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता। कैंची धाम में बाबा नीम करौली जी को भगवान हनुमान जी का अवतार माना जाता है। 15 जून को इस धाम में विशाल मेले का आयोजन होता है।

बाबा नीब करौरी महाराज जी की चमत्कारिक शक्तियां-

कहा जाता है कि बाबा नीब करौली को भगवान हनुमान की उपासना करने के बाद अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त हुई थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। लेकिन बाबा बेहद साधारण तरीके से रहते थे और अपने पैर किसी को नहीं छूने देते थे।

केवल आम आदमी ही नहीं अरबपति-खरबपति भी बाबा के भक्तों में शामिल हैं। पीएम मोदी और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी हस्तियां भी बाबा की भक्त हैं। कहा जाता है कि कैंची धाम में एक बार भंडारे के दौरान घी की कमी पड़ गई थी। बाबा ने कहा कि नीचे बहती नदी से कनस्तर में पानी भरकर लाएं। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह पानी घी में बदल गया। वहीं एक बार बाबा नीम करौली महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया।

कैंची धाम बाबा नींब करौरी महाराज जी का धाम है। यहां पर बाबा नींब करौरी महाराज कई सालों तक रहे। भक्त बताते हैं कि अभी भी बाबा जी यहां पर दर्शन देते हैं, जबकी नींब करौरी महाराज ने कई साल पहले ही अपने प्राण त्याग दिए थे। कई पुस्तकों में बाबा नींब करौरी महाराज जी के अनेको चमत्कारों का वर्णन भी है। भक्त बताते हैं कि बाबा नीब करौरी महाराज जी को कैंची धाम से विशेष लगाव था।

कैंची धाम मंदिर का प्रसाद- 

प्रतिष्ठा दिवस के दिन 15 जून को कैंची धाम मेले में मालपुए का प्रसाद बांटा जाता है। मालपुए बनाने का काम 12 जून से शुरू हो जाता हैं। शुद्ध देशी घी से बने मालपुए बनाने के यहां अलग नियम हैं। और यह नियम किसी तप से कम नहीं है। प्रसाद बनाने में वही श्रद्धालु भाग ले सकता है जो व्रत लेकर आए और धोती, कुर्ता धारण कर उस अवधि में लगातार हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा हो।


सुबह से तीन दिन तक लगातार प्रसाद बनाने का काम चालू रहता है। प्रसाद के रूप में मालपुए बांटने की इच्छा बाबा नीम करौली महाराज की ही थी। प्रसाद की शुद्धता को देखते हुए वही श्रद्धालु प्रसाद बनाने में भागीदारी करते हैं जो कि इस दौरान उपवास पर रहते हैं। बारी-बारी से श्रद्धालु प्रसाद बनाने में अपनी भागीदारी करते है। मालपुए बनाने के बाद उन्हें पेटियों और डालियों में रख दिया जाता है। 15 जून को बाबा को भोग लगाने के बाद ही इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। कैंची मंदिर के प्रसाद की महत्ता इतनी है कि इसे पाने के लिए लोग दूर-दूर से यहां मंदिर में पहुंचते हैं।

कैंची धाम मंदिर में जो लोग यहां नहीं पहुंच पाते वह अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के माध्यम से प्रसाद मंगाते हैं। मालपुए का प्रसाद लाखों श्रद्धालुओं के लिए बनाया जाता हैं। बताया जाता हैं, कि प्रसाद बांटने के लिए लाखों की संख्या में कागज की थैलियां मंगाई जाती हैं।


नीब करौरी बाबा महाराज जी जय।






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