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भीमताल उत्तराखंड की बेहद खूबसूरत झील

भीमताल उत्तराखंड की बेहद खूबसूरत झील

नमस्कार दोस्तों स्वागत है, आपका हमारे जय उत्तराखंडी समुदाय में आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में भीमताल उत्तराखंड की बेहद खूबसूरत झील के बारे में विस्तारपूर्वक बताएंगे।



यह सुंदर झील नैनीताल से 22 किलोमीटर की दूरी तथा समुद्र तल से 1370 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान की दूरी भवाली से 11 किलोमीटर है। भीमताल की झील पर्यटकों के लिए बहुत मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करती है। यह झील नैनीताल के झील से बडी है। पर्यटक यहॉ पर नौकायान का आन्नद ले सकते हैं। यहॉ का एक और आकर्षण झील के मध्य स्थित टापू पर बना मछलीघर है । 




पर्यटक इस मछलीघर पर नाव द्वारा आ जा सकते हैं। झील तट से टापू की दूरी 98 मीटर है। यहॉ पर सत्रवहीं शताब्दी का बना भगवान भीमेश्वर महादेव का मंदिर है। इसी के परिसर से लगा हुआ 40 फीट ऊंचा बांध भी है जोकि भीमताल झील के स्वरूप को बानाता है तथा सिंचाई कार्य में मदद करता है। इसी के पास बस स्टेशन एवं टैक्सी स्टेशन हैं। यहॉ से एक सडक नौकुचियाताल एवं जंगलियागॉंव को जाती है तथा दूसरी काठगोदाम को जाती है।



इस झील के मध्य विद्यमान एक छोटे से द्वीप ने तो इस झील के सौंदर्य को अद्भुत शोभा प्रदान की है। इसमें नौका विहार का भी अपना अलग आनंद है। भीमताल वास्तव में बहुत ही सुंदर झील है। उत्तर से नौली गढ़ना नामक नदी इसमें से निकलती है तथा गधेरा नामक नदी निकलती है। इसके किनारे पहाड़ी पीपल के वृक्ष हैं। इसका आकार भीमकाय होने की वजह से सम्भवतः इसका नाम भीमताल पड़ा। कुछ इस ताल का संबंध पांडव भीम से करते हैं। उनके अनुसार यहां भीम ने जमीन खोद कर ताल का निर्माण किया था। यहां पास ही भीमेश्वर महादेव का मंदिर भी है। इसमें से एक धारा निकल कर ‘गोला’ नदी में मिलती है।

भीमताल झील का इतिहास-

भीमताल के बीच में एक टापू है, जहां वर्तमान में एक्वेरियम बना हुआ है। टापू तक जाने के लिए नाव का सहारा लिया जाता है। पर्यटन स्थलों के क्षेत्र में आज भीमताल काफी मशहूर है। कहा जाता है कि वनवास के दौरान पांडव यहां आए थे।

नैनीताल की खोज होने से पहले भीमताल को ही लोग महत्व देते थे। परन्तु कुछ विद्वान इस ताल का सम्बन्ध पाण्डु - पुत्र भीम से जोड़ते हैं। कहते हैं कि पाण्डु - पुत्र भीम ने भूमि को खोदकर यहाँ पर विशाल ताल की उत्पति की थी। वैसे यहाँ पर भीमेश्वर महादेव का मन्दिर है। यह प्राचीन मन्दिर है - शायद भीम का ही स्थान हो या भीम की स्मृति में बनाया गया हो। परन्तु आज भी यह मन्दिर भीमेश्वर महादेव के मन्दिर के रूप में जाना और पूजा जाता है।


उम्मीद करते है, कि आपको हमारी यें पोस्ट पसन्द आयी होगी।

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!! जय गोलज्यू देवता !!

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