🌕 उत्तराखंड में करवा चौथ – अब बढ़ती आधुनिक परंपरा
कभी उत्तराखंड की संस्कृति में करवा चौथ का कोई विशेष स्थान नहीं था। यहाँ की महिलाएँ अधिकतर हरतालिका तीज, आंवला नवमी, और होलिकोत्सव जैसे पारंपरिक पर्व मनाती थीं। ये त्यौहार मुख्य रूप से स्थानीय देवी-देवताओं और कृषि जीवन से जुड़े होते थे।
लेकिन बदलते समय के साथ, शहरीकरण और मीडिया के प्रभाव ने उत्तराखंड के त्यौहारों की झलक को भी बदल दिया है।
आज देहरादून, हल्द्वानी, रुद्रपुर, नैनीताल जैसे शहरों में करवा चौथ बड़े उत्साह से मनाया जाने लगा है।
उत्तर भारत के अन्य राज्यों — जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश — से इस पर्व की परंपरा उत्तराखंड में धीरे-धीरे आई।
टीवी सीरियल, सोशल मीडिया और फिल्मों में दिखाए जाने वाले इस व्रत ने युवा पीढ़ी और नई बहुओं के बीच लोकप्रियता हासिल की।
अब यहाँ की महिलाएँ भी सोलह श्रृंगार कर, करवा माता की पूजा करती हैं और चाँद देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
पहाड़ी इलाकों में भी यह पर्व अब देखने को मिलता है — हालाँकि कई बुजुर्ग महिलाएँ अब भी इसे “नई परंपरा” मानती हैं।
🌸 समय के साथ करवा चौथ उत्तराखंड की नई सांस्कृतिक पहचान बनता जा रहा है — जहाँ पुरानी परंपराएँ और आधुनिक रिवाज़ साथ-साथ चल रहे हैं।
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