हरज्यू देवता: न्याय के देवता — उत्तराखंड की आस्था का प्रतीक

हरज्यू देवता: न्याय के देवता — उत्तराखंड की आस्था का प्रतीक



परिचय-

उत्तराखंड जिसे देवभूमि कहा जाता है, यहाँ के हर गाँव में किसी न किसी देवता की पूजा होती है। इन्हीं में से एक प्रमुख लोकदेवता हैं — हरज्यू देवता। इन्हें न्याय के देवता कहा जाता है। लोककथाओं के अनुसार हरज्यू देवता अन्याय का अंत कर सत्य और धर्म की स्थापना करते हैं। कुमाऊँ क्षेत्र के लोगों के लिए यह आस्था और श्रद्धा के प्रतीक हैं।


हरज्यू देवता का इतिहास-


हरज्यू देवता को कई स्थानों पर हरु देवता या हरूज्यू देवता के नाम से भी जाना जाता है। लोककथाओं के अनुसार, वे प्राचीन काल में हरिशचन्द्र नामक राजा थे जिन्होंने सत्य और धर्म की रक्षा के लिए अपना राजपाट छोड़ दिया था। कहा जाता है कि उन्होंने हरिद्वार में तपस्या की और “हर की पौड़ी” का निर्माण कराया।

कुछ मान्यताओं के अनुसार हरज्यू देवता भगवान महादेव (शिव) के ही अवतार हैं जो अन्याय का अंत करने पृथ्वी पर आए। उनकी गाथाएँ उत्तराखंड के कुमाऊँ और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में सुनाई देती हैं।

उनके जीवन की कहानियाँ यह सिखाती हैं कि सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलना ही सर्वोच्च भक्ति है।

मंदिर और पूजा-परंपरा-


हरज्यू देवता के मंदिर मुख्य रूप से उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में पाए जाते हैं — विशेषकर अल्मोड़ा, चमोली, और पिथौरागढ़ जिलों के कई गाँवों में।

यहाँ भक्त दूर-दूर से न्याय की गुहार लेकर आते हैं। यदि किसी व्यक्ति पर अन्याय हुआ हो, तो वह हरज्यू देवता के मंदिर में जाकर अपनी बात रखता है।
लोगों का विश्वास है कि देवता स्वयं सच्चे-झूठे का फैसला करते हैं और दोषी को दंड मिलता है।

पूजा के समय ढोल-नगाड़ों की गूंज, लोकगीत और “जय हरज्यू महाराज की” के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
भोग में फल-फूल, मेवा-मिष्ठान्न और सात्विक भोजन चढ़ाया जाता है।

लोक कहावत भी प्रचलित है —

 “औंन हरू हरपट, जौंन हरू खड़पट”
मतलब — जहाँ हरज्यू देवता का वास होता है, वहाँ सुख-समृद्धि और शांति रहती है।

क्षेत्रीय महत्व-


हरज्यू देवता को कुमाऊँ की लोकसंस्कृति का रक्षक माना जाता है। उनकी पूजा केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक न्याय और लोक-एकता से भी जुड़ी है।
गाँवों में आज भी विवाद या कसम के समय देवता के नाम की शपथ ली जाती है — क्योंकि झूठ बोलने वाला हरज्यू देवता के कोप का भागी बनता है।

इस तरह हरज्यू देवता न सिर्फ एक लोकदेवता हैं, बल्कि सत्य, धर्म और न्याय की परंपरा के जीवंत प्रतीक हैं।

हरज्यू देवता उत्तराखंड की लोकआस्था के केंद्र हैं। वे सिखाते हैं कि सत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता।
उनकी पूजा हमें यह विश्वास देती है कि इस संसार में न्याय की जीत हमेशा होती है।

जय हरज्यू महाराज की जय!

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