सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हरू (हरज्यू) - सैम देवता की कहानी ,समृद्धि और सीमा के रक्षक देवता |

हरू (हरज्यू) - सैम देवता की कहानी ,समृद्धि और सीमा के रक्षक देवता, उत्तराखंड 【औन हरू हरपट, जौन हरू खड़पट 】 उत्तराखंड के कुमाऊं में प्रचलित इस लोकोक्ति का अर्थ है कि हरू (हरज्यू), आये हरियाली लाये, हरू (हरज्यू) जाये सब कुछ नष्ट हो जाये । हरू (हरज्यू) के साथ हमेशा सैम देवता के भी मंदिर होते हैं, हरू और सैम दोनों भाई हैं हरू और सैम के जीवन की गाथा ही हरू-सैम की जागरों में गायी जाती हैं। हरू-सैम की जन्म कथा । बहुत साल पहले कि बात है निकन्दर नाम का एक राजा हुआ करता था। राजा निकन्दर की एक बेटी थी जिसका नाम कालानीरा था एक वर्ष जब हरिद्वार में कुंभ लगा तो कालानीरा ने अपने पिता से कुंभ में जाने की अनुमति मांगी पिता ने लंबी यात्रा में अकेली पुत्री को भेजने से मना कर दिया लेकिन बाद में कालानीरा की जिद्द के आगे पिता ने हार कर उसे अनुमति दे दी। राजा निकन्दर ने अपनी पुत्री को अनुमति एक शर्त पर दी कि वह गंगा में डुबकी नहीं लगायेगी बल्कि घुटनों तक के पानी तक ही गंगा में जायेगी, कालानीरा ने पिता की बात को मान लिया और हरिद्वार के कुंभ में चली गयी ।   मंदिर हरू (हरजु) दे...

हरू (हरज्यू) देवता कुमाऊँ के लोक देवता, उत्तराखंड

हरू (हरज्यू) देवता कुमाऊँ के लोक देवता, उत्तराखंड हरू (हरजू) देवता उत्तराखंड के कुमाऊँ के मुख्य देवता है। हरू (हरजू) देवता एक अच्छी प्रकृति के देवता है, और कुमाऊँ के ग्रामों में बहुत पूजे जाते है।  कहा जाता है कि वह चंपावत के कुमाऊँ के राजा हरिशचन्द्र थे।  वह राजा राजपाट छोड़ हरिद्वार में जाकर तपस्वी हो गए।  कहते हैं कि हरिद्वार में हर की पौड़ी उन्ही ने बनाई थी। हरिद्वार से कहा जाता है कि उन्होंने चारों धामों (बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामनाथ, द्वारिकानाथ) की परिक्रमा की।  चारों धामों से लौटकर चंपावत में राजा ने अपना जीवन धर्म-कर्म में ही बिताया, और अपना एक भ्रातृमंडल कायम किया।  उनके छोटे भाई सैम, लाटू तथा उनके नौकर स्यूरा, त्यूरा, रुढ़ा कठायत, खोलिया, मेलिया, मंगिलाया और उजलिया सब उनके शिष्य हो गये। बारु भी चेले बने।  राजा उनका गुरु हो गए। कुमाऊं के लोक देवता। हरू (हरजू) देवता है। हरजू एक अच्छी प्रवृत्ति शुध्द आचरण और दैवीय शक्ति से परिपूर्ण सात्विक देवता हैं।  हरज्यू  की पूजा पूरे कूर्मांचल में बड़ी श्रध्दा से पूजा होती है। तपस्या,...

नंदा देवी पर्वत | चमोली, उत्तराखंड

नंदा देवी पर्वत चमोली, उत्तराखंड नन्दा देवी पर्वत भारत की दूसरी एवं विश्व की 23वीं सर्वोच्च चोटी है। इससे ऊंची व देश में सर्वोच्च चोटी कंचनजंघा है। नन्दा देवी शिखर हिमालय पर्वत शृंखला में भारत के उत्तराखंड राज्य में पूर्व में गौरीगंगा तथा पश्चिम में ऋषिगंगा घाटियों के बीच स्थित है। इसकी ऊंचाई 7816 मीटर है। नंदा देवी पर्वत  उत्तराखंड के अंतर्गत गढ़वाल मंडल के  चमोली जिले मेंं स्थित है। पर्वत हिमालय के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र का प्रसिद्ध पर्वतशिखर है। जिसकी चमोली से दूरी 32 मील पूर्व है। इसे भी पढ़े- त्रिशूल पर्वत, उत्तराखण्ड में चोटी | trishul mountain in uttarakhand ...   नंदा देवी पर्वत शिखर में दो जुड़वाँ चोटियाँ हैं, जिनमें से नंदादेवी चोटी समुद्रतल से 25,645 फुट ऊँची है।नंदादेवी पर्वत चारों ओर से पर्वतीय दीवारों से घिरी है, जो 70 मील की परिधि में फैली हैं।1934 ई. में प्रथम बार इस परिधि में प्रवेश किया गया था।अंग्रेज-अमेरिकी पर्वतारोही दल ने सर्वप्रथम 1936 ई. में इस पर विजय प्राप्त की थी।नंदा देवी पर्वत, उत्तराखंड पर सब लोगो...

जय माँ कालीमठ मंदिर, उत्तराखंड का बहुत ही रहस्यमय मंदिर | kalimath temple in uttarakhand

जय माँ कालीमठ मंदिर, उत्तराखंड का बहुत ही रहस्यमय मंदिर | kalimath temple in uttarakhand श्री महाकाली माता जी का मंदिर कालीमठ मंदिर जो कि बहुत प्रसिद्ध है, वो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ की चोटियों से घिरा हिमालय में सरस्वती नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर समुन्द्र तल से 1463 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, कालीमठ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है और इस मंदिर को भारत के प्रमुख सिद्ध शक्ति पीठो में से एक पीठ माना जाता है। स्कन्दपुराण के अंतर्गत केदारनाथ के 62 वे अध्याय में मां काली के इस मंदिर का वर्णन है। कालीमठ मंदिर से 8 किलोमीटर की खड़ी उचाई पर स्थित दिव्य चट्टान है जिसको काली शिला के रूप में माना जाता है, जंहा पर महाकाली माता के पैरों के निशान मौजूद है और कालीशिला के बारे में यह कहते है कि माँ दुर्गा ने शुम्भ-निशुम्भ और रक्तबीज दानव का वध करने के लिए कलिशिला में 12 वर्ष की बालिका के रूप में प्रकट हुई थी । कलिशिला में देवी देवता के 64 यंत्र है, माँ दुर्गा को इन्ही 64 यंत्रो से शक्ति मिली थी।  कहते है कि इस स्थान पर 64 योग...

त्रिशूल पर्वत, उत्तराखण्ड में चोटी | trishul mountain in uttarakhand

त्रिशूल पर्वत, उत्तराखंड में चोटी, त्रिशूल पर्वत कंहा है। त्रिशूल पर्वत हिमालय की तीन चोटियों के समूह का नाम है, जो पश्चिमी कुमाऊ में स्थित हैं। यह उत्तराखंड राज्य के मध्य में बागेश्वर जिले के निकट हैं। ये नंदा देवी पर्वत से दक्षिण-पश्चिम दिशा में 15 कि॰मी॰ (9 मील) दूर नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को घेरते हुए शिखरों के समूह का दक्षिण-पूर्वी भाग हैं। इन तीन शिखरों के कारण ही इनका नाम हिन्दू भगवान शिव के अस्त्र त्रिशूल का नाम दिया गया है। मुख्य शिखर त्रिशूल-1 की ऊंचाई 7000 मीटर (22970 फीट) है। यह शिखर 7000 मी से ऊंची पहली चोटी है, जिस पर (1907 में) चढ़ाई की गई थी। तीन शिखरों के नाम क्रमशः त्रिशूल 1, त्रिशूल2 एवं त्रिशूल 3 हैं। मुख्य पुंजक एक उत्तर-दक्षिण रिज है, जिसमें त्रिशूल-1 उत्तरी छोर व त्रिशूल-3 दक्षिणी छोर पर हैं। त्रिशूल का सर्वोत्तम दृश्य बेदिनी बुग्याल एवं कौसानी से दिखाई देता है। इससे कुछ ही किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में नंदा घंटी, एवं एकदम दक्षिण-पूर्व में मृगथनी शिखर हैं। इसे भी पढ़े- ॐ पर्वत उत्तराखंड, ओम पर्वत कंहा है। यह तीनों शिखर...

ओम पर्वत | om mountain | का रहस्य | , उत्तराखंड भारत।

ओम पर्वत | om mountain |उत्तराखंड ओम पर्वत , 6191 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर्वत श्रृंखला के पहाड़ों में से एक है। यह पर्वत नाबीडागं से देखा जा सकता है। (ओम पर्वत पर चढ़ना आज तक संभव नहीं हो पाया है।) नाबीडांग से कुट्टी गांव होते हुए आप लिटिल कैलाश, आदि कैलाश,बाबा कैलाश जोकि जोंगलिंगकोंग के नाम से प्रचलित स्थान पर स्थित है हम जा सकते हैं। दूसरी तरफ लिपुलेख दर्रा होते हुए हम तिब्बत में स्थिति कैलाश मानसरोवर भी जा सकते हैं। एक प्रकार से यह स्थान कैलाश और आदि कैलाश के बीच में स्थित है। ये स्थान नेपाल - तिब्बत  सीमा के पास में स्थित है जो एक शानदार दृश्य प्रदान करता है। यहाँ आने वाले यात्री इस स्थान से अन्नपुर्णा  की विशाल चोटियों को भी देख सकते हैं।यह स्थान धारचूला के निकट है। इस पहाड़ पर बर्फ के बीच 'ओम' या 'ऊँ' शब्द का आकार दिखता। इसी कारण इस स्थान का नाम ओम पर्वत पड़ा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिमालय पर कुल 8 प्राकृतिक ओम की आकृतियां बनी हुई हैं। इनमें से अबतक केवल ओम पर्वत की ही आकृति के बारे में पता चल सका है।ये चोटी हिन्दू धर्म के अलावा...

उत्तराखंड के 13 जिलों के नाम कौन - कौन से है।

उत्तराखंड के 13 जिलों के नाम कौन-कौन से है। 1. अल्मोड़ा 2. बागेश्वर 3. चमोली 4. चम्पावत 5. देहरादून 6. हरिद्वार 7. नैनीताल 8. पौड़ी गढ़वाल 9. टिहरी गढ़वाल 10. उत्तरकाशी 11. पिथौरागढ़ 12. रुद्रप्रयाग 13. उधम सिंह नगर इसे भी पढ़े- उत्तराखंड राज्य का इतिहास और जानकारी | Uttarakhand History Information उत्तराखंड का परिचय उत्तराखंड में टोटल 13 जिले है उत्तराखंड में 2 मंडल है - 1. कुमाऊँ मंडल 2. गढ़वाल मंडल इसे भी पढ़े - फूलो की घाटी उत्तराखंड | most popular places in uttarakhand, औली उत्तराखंड पर्यटक स्थल । धरती का स्वर्ग उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहार कौन - कौन से है? उत्तराखंड का इतिहास प्रागैतिहासिक काल कुमाऊ मंडल की स्थापना 1854 में हुई थी। कुमाऊँ मंडल का मुख्यालय नैनीताल में स्थित है। गढ़वाल मंडल की स्थापना 1969 में हुई थी। गढ़वाल मंडल का मुख्यालय पौड़ी में स्थित है। कुमाऊँ मंडल में 6 जिले आते है- नैनीताल , अल्मोड़ा , पिथौरागढ़ , उधम सिंह नगर , बागेश्वर, चम्पावत। गढ़वाल मंडल में 7 जिले आते है- चमोली , उत्तरकाशी , देहरादून , पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, ह...

| गोलू (गोल्ज्यू) देवता मंदिर चम्पावत | उत्तराखंड।

गोलू (गोल्ज्यू) देवता मंदिर चम्पावत गोलू (गोल्ज्यू) देवता मंदिर चंपावत , उत्तराखंड के चम्पावत जिले के अंदर मंच तामली मोटर मार्ग, कनलगाओं गांव में स्थित है। चम्पावत के गोलू मंदिर , गोल्ज्यू देवता का जन्म स्थान भी है। गोल्ज्यू देवता का यह मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है। भक्त लोग यहाँ बहुत दूर - दूर से आते है। और वैसे भी चम्पावत गोलू देवता का जन्म स्थान है। गोल्ज्यू देवता के दो मुख्य मंदिर है ।  (1)  | चितई गोलू देवता मंदिर का इतिहास ,अल्मोड़ा उत्तराखंड | (2)  गोलू देवता मंदिर घोड़ाखाल । golu devta mandir ghorakhal चम्पावत के गोलू देवता मंदिर में भी लोग घंटिया चढ़ाते है, अपनी मन्नत पूरी होने के बाद यहां भी लोग अपनी कोई भी इच्छा या मन्नत मांगने के लिए आर्जिया लिख कर लटका देते है। आज भी भक्तजन कागज़ मैं अर्जी लिख कर गोलू मंदिर मैं पुजारी जी को देते हैं. पुजारी लिखित पिटीशन पढ़कर गोल्ज्यू को सुनाते हैं. फिर यह अर्जी मंदिर मैं टांग दी जाती है. कई लोग सरकारी स्टांप पेपर मैं अपनी अर्जी लिखते हैं. गोलू देवता न्याय के देवता हैं. वह न्याय करते हैं. कई गलती...