पांडवों द्वारा निर्मित शनिदेव मंदिर का रहस्य | शनिदेव धाम खरसाली, उत्तराखंड
पांडवों द्वारा निर्मित शनिदेव मंदिर का रहस्य | शनिदेव धाम खरसाली, उत्तराखंड
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में स्थित भगवान शनिदेव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिनको पांडवो द्वारा निर्मित किया गया था।
भारत देश में वैसे तो बहुत से मंदिर है, जिनकी अपनी अलग - अलग मान्यताए है। और शनिदेव भगवान के मंदिर के बारे में बात करे तो शनिदेव भगवान को हमारे देश में बहुत से मंदिर समर्पित है। और इन्ही सब शनिदेव भगवान के मंदिरों की अपनी अलग- अलग मान्यताऐं और इतिहास है।
ऐसा ही शनिदेव भगवान का एक मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में खरसाली गाँव में स्थित है। जंहा वर्ष में एक बार चमत्कार देखने को मिलता और सभी लोगो की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। यह शनिधाम समुद्र तल से लगभग 7 हज़ार फुट की ऊँचाई पर स्थित है।
उत्तराखंड के इस मंदिर में शनि देव बारह वर्ष विराजमान रहते है। जो भी श्रद्धालु यहां आते है उनका कहना यह है कि शनिदेव के दर्शन मात्र से ही उनके सारे कष्ट दूर हो जाते है। इसी के कारण यहां हर वर्ष श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव के इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था। जो कि पांच मंजिला मंदिर है।
शनिदेव का यह मंदिर बाहर से देखने में लगता ही नहीं है कि यह पांच मंजिला है। यह मंदिर पत्थर और लकड़ी से मिलकर बना है। इस मंदिर के अंदर जो भगवान शनिदेव की मूर्ति है वह काँसे की बनी हुई है। और इस मंदिर के अंदर एक अखण्ड ज्योति जलती रहती है, जो भी कोई भक्तजन इस अखण्ड ज्योति के दर्शन करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है। और उनको शनिदोष से मुक्ति मिल जाती है।
शनिदेव धाम खरसाली में लोगो का यह कहना है कि यहां साल में एक बार चमत्कार जरूर होता है। स्थानीय लोगो के अनुसार हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मंदिर के ऊपर रखे गए घड़े खुद आपस में बदल जाते है। ये घड़े खुद अपना रंग भी बदलते है, और खुद अपना आकर भी बदलते है।
खरसाली में यह भारत का सबसे पुराना शनि देव मंदिर है। यात्री चार धाम यात्रा के दौरान भगवान शनिदेव के दर्शन करके यमनोत्री धाम जाते हैं। कहा जाता है कि, शीतकालीन मौसम के दौरान देवी यमुना की मूर्ति शनि देव मंदिर में रखी जाती है। यहाँ हर साल भाई दूज या याम द्वितिया के अवसर पर दीवाली के दो दिन बाद, देवी यमुना की मूर्ति मंदिर में लाई जाती है और सर्दियों के अंत तक यहां पूजा की जाती है। सावन की सन्क्रान्ति में खरसाली में तीन दिवसीय शनि देव मेला आयोजित किया जाता है। यहां एक और दिलचस्प आकर्षण एक प्राचीन भगवान शिव मंदिर है। यहां भगवान शिव को उनके सोमेश्वर रूप में अवतरित किया गया है।
जय शनिदेव भगवान।
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