मलयनाथ मंदिर ( सिराकोट मंदिर ) डीडीहाट, पिथौरागढ़ | Malaynath Mandir ( sirakot mandir ) Didihat, Pithoragarh
मलयनाथ मंदिर ( सिराकोट मंदिर ) डीडीहाट, पिथौरागढ़ | Malaynath Mandir ( sirakot mandir ) Didihat, Pithoragarh
नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में मलयनाथ मंदिर ( सिराकोट मंदिर ) डीडीहाट के बारे में बतायेंगे।
सिराकोट मन्दिर ( मलयनाथ मंदिर )-
सिराकोट मन्दिर ( मलयनाथ मंदिर ) चंद राजा ने चौदवी सदी में बाद बहादुर चंद ने राजकोट में स्थापित किया उसी समय मलेनाथ प्रकट हुए उस समय यहा जनसंख्या ना के बराबर थी। चंद राजा ने यंहा की जनता को बसाया और मन्दिर के लिए पुजारी पानुजी को नियुक्त किया गया और मन्दिर की देखरेख के लिए गणपति रसीला लोगों को नियुक्त किया गया इस मंदिर के शिख लेख इलाके के लोग चढ़ाते हैं।
यंहा हर साल असोज के नवरात्रि चतुर्दशी को मेला लगता है और इस मन्दिर में पुजारी जी हर रोज भोग लगाते हैं। यह मन्दिर डीडीहाट की एक पहाड़ी में स्थित है और इसकी दूरी डीडीहाट से 3 किलोमीटर है, इस मन्दिर के एक चन्द राजा के समय से पानी का नौला ( कुआँ ) भी है जिस पानी को सदा भोग के व सफाई के लिए प्रयोग किया जाता है।
सिराकोट मन्दिर ( मलयनाथ मंदिर ) भव्य मंदिर यहां से हिमालय की चोटियों का बिहंगम नजारा दिखता है। इसके अलावा घाटी का नजारा भी दिखता है। डीडीहाट नगर भी यहां से साफ दिखता है। सीराकोट में हर समय भक्तों का तांता लगा रहता है।
सिराकोट मंदिर ( मलयनाथ मंदिर ) में हर वर्ष कार्तिक चतुर्दशी को मेला लगता हैं मेले में नगाड़ा प्रतियोगिता भी की जाती हैं। इस मेले में रात को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। सिराकोट की चोटी पर स्थित मलयनाथ मंदिर में लगने वाले मेले में हर वर्ष ढोल नगाड़ा प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता हैं। इस प्रतियोगिता के इस क्षेत्र के ग्राम पंचायतों को ढोल नगाड़ों के साथ जाना पढता हैं। इस मेले में यह परम्परा पूर्व से चली आ रही है इस मेले में चौबाटी, दूनाकोट, डीडीहाट, बोराबुंगा, बमनगाड़, आदिचौरा सहित विभिन्न गांवों से नगाड़े पहुँचते हैं।
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