श्री महालक्ष्मी मंदिर बेरी पड़ाव, लालकुआं | Shri Mahalakshmi Mandir Hindu Temple, Beri Padav, Haldwani Rd, Lalkuan, Uttarakhand
नमस्कार दोस्तों स्वागत है, आपका हमारे जय उत्तराखंडी समुदाय में आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर बेरी पड़ाव, लालकुआं | Shri Mahalakshmi Mandir Lalkuan के बारे में बताएंगे।
अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में बेरी पड़ाव लालकुआं हल्द्वानी में स्थित है। मंदिर लगभग वर्ष 2004 साल पहले बनाया गया था। मंदिर देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। मंदिर बहुत सुंदर और अद्भुत है। कई भक्त यहां आते हैं और देवी महालक्ष्मी का आशीर्वाद लेते हैं।
अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मन्दिर की स्थापना तपस्वती सन्त एवं महामण्डलेश्वर श्री-श्री 1008 बालकृष्ण यति महाराज द्वारा कराई गयी थी। इसलिए इसे बालकृष्ण यतिधाम भी कहा जाता है। वर्ष 2004 में भूमि पूजन के साथ ही इस मन्दिर की नींव पड़ गयी थी। लेकिन मन्दिर एवं आश्रम परिसर का निर्माण 2005-2006 में किया गया। इसी क्रम में 20 अप्रैल 2007 को अष्टादश भुजा महालक्ष्मी देवी की मूर्ति स्थापना के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा की गयी।
यहां अट्ठारह भुजाओं वाली महालक्ष्मी की भव्य मूर्ति अष्टधातु से निर्मित है। वरिष्ठ महामण्डलेश्वर श्री-श्री 1008 बालकृष्ण यति महाराज के दिशा-निर्देश एवं आभामय उपस्थिति में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन-यज्ञ एवं विशाल भण्डारे के साथ पूर्ण हुई। माता महालक्ष्मी की मूर्ति के दिव्य वैभव तथा विराट स्वरुप के साथ भारत में यह एक मात्र मंदिर हैं।
यह शहर के सबसे बड़े और सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है। मंदिर सफेद रंग के तीन मुख्य गुंबदों के साथ एक बहुत बड़ी संरचना है। हालांकि अष्टादश भुजा लक्ष्मी मंदिर मुख्य रूप से लक्ष्मी जी को समर्पित है, इसमें विभिन्न सम्मानित देवताओं के मंदिर भी हैं- "भगवान शिव", "भगवान गणेश" और " भगवान हनुमान", मंदिर हर धर्म और जाति के भक्तों को आकर्षित करता है।
शान्त, सुन्दर एवं आकर्षक मन्दिर परिसर के ठीक महामाया महालक्ष्मी की भव्य मूर्ति प्रतिष्ठित है। प्रातः एवं सायंकाल में मुख्य राजमार्ग से गुजरते हुए किसी को भी माँ की मूर्ति के दर्शन हो जाते हैं। मंदिर में प्रसाद वितरण में नित्य जो भी बनता है, सर्वप्रथम महामाया महालक्ष्मी व अन्य सभी देवताओं को भोग लगता है। एक अखण्ड दीपक मन्दिर में सदैव प्रज्वलित रहता है। मन्दिर दर्शन का समय ग्रीष्मकाल में प्रातः 6 बजे से दिन के 12 बजे तक और सायंकाल 4 बजे से रात्रि 9 बजे होता है, जबकि शीतकाल में प्रातः 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और सायं 3 बजे से 8 बजे तक का होता है।
वर्तमान में यहाँ एक ऋषिकुल भी हैं जहाँ संस्कृत के विद्यार्थी निवास करते हैं। साधु-संतों एवं साधकों का आवागमन हमेशा रहता है। स्थापना के समय से ही प्रतिवर्ष वार्षिकोत्सव का भव्य आयोजन होता है। और विशाल भण्डारा किया जाता है। यहाँ का दिव्य वातावरण किसी का भी मन मोह लेता है। नवरात्र में श्रद्धालु मां दुर्गा के सभी स्वरूपों के दर्शन को लालायित रहते हैं। नवरात्रि के इस मौके पर श्रद्धालु मां के सभी रूपों के दर्शन करना चाहते हैं तो महालक्ष्मी मंदिर भक्तों के लिए उम्दा स्थान है।
उम्मीद करते है, कि आपको हमारी यें पोस्ट पसन्द आयी होगी।
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