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सात ताल सात झीलों का समूह | नैनीताल उत्तराखंड

सात ताल सात झीलों का समूह | नैनीताल उत्तराखंड नमस्कार दोस्तों स्वागत है, आपका हमारे जय उत्तराखंडी समुदाय में आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में  सात ताल सात झीलों का समूह के बारे में विस्तारपूर्वक बताएंगे। सात ताल सात झीलों का समूह उत्तराखंड के नैनीताल जिले से लगभग 23 किमी की दूरी पर स्थित हैं। सातताल एक अद्वितीय, अविस्मरणीय बांज के जंगलों के मध्य में स्थापित झीलों का समूह हैं। सात ताल तक पहुँचने के लिए भीमताल से ही मुख्य मार्ग है। भीमताल से 'सातताल' की दूरी केवल 4 कि.मी. है। आजकल यहाँ के लिए एक दूसरा मार्ग माहरा गाँव से भी जाने लगा है। माहरा गाँव से सातताल केवल 7 कि.मी. दूर है। इस ताल में नौका-विहार करने वालों को विशेष सुविधायें प्रदान की गयी है। यह ताल पर्यटन विभाग की ओर से प्रमुख सैलानी क्षेत्र घोषित किया गया है। ताल के प्रत्येक कोने पर बैठने के लिए सुन्दर व्यवस्था कर दी गयी है। सारे ताल के आस-पास नाना प्रकार के फूल, लतायें लगायी गईं हैं। बैठने के अलावा सीढियों और सुन्दर- सुन्दर पुलों का निर्माण कर 'सातताल' को स्वर्ग जैसा ताल बनाया गया है। सचमुच यह ...

उत्तराखंड के केदारनाथ धाम को क्यों कहते हैं ‘जागृत महादेव’ ?, दो मिनट की ये कहानी आपके रौंगटे खड़े कर देगी।

उत्तराखंड के केदारनाथ धाम को क्यों कहते हैं ‘जागृत महादेव’ ?, दो मिनट की ये कहानी आपके रौंगटे खड़े कर देगी।  नमस्कार दोस्तों स्वागत है, आपका हमारे जय उत्तराखंडी समुदाय में आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में  उत्तराखंड के केदारनाथ धाम को क्यों कहते हैं ‘जागृत महादेव’ के बारे में बताएंगे। एक बार एक शिव-भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकला। पहले यातायात की सुविधाएँ तो थी नहीं, वह पैदल ही निकल पड़ा। रास्ते में जो भी मिलता केदारनाथ का मार्ग पूछ लेता। मन में भगवान शिव का ध्यान करता रहता। चलते चलते उसको महीनो बीत गए। आखिरकार एक दिन वह केदार धाम पहुच ही गया।  केदारनाथ में मंदिर के द्वार 6 महीने खुलते है और 6 महीने बंद रहते है। वह उस समय पर पहुचा जब मन्दिर के द्वार बंद हो रहे थे। पंडित जी को उसने बताया वह बहुत दूर से महीनो की यात्रा करके आया है। पंडित जी से प्रार्थना की - कृपा कर के दरवाजे खोलकर प्रभु के दर्शन करवा दीजिये। लेकिन वहां का तो नियम है एक बार बंद तो बंद। नियम तो नियम होता है। वह बहुत रोया। बार-बार भगवन शिव को याद किया कि प्रभु बस एक बार दर...

चैती देवी मंदिर काशीपुर, उत्तराखंड | Chaiti Devi Temple Kashipur Uttarakhand

चैती देवी मंदिर काशीपुर, उत्तराखंड | Chaiti Devi Temple Kashipur Uttarakhand नमस्कार दोस्तों स्वागत है, आपका हमारे जय उत्तराखंडी समुदाय में आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में स्थित चैती देवी मंदिर के बारे में बताएंगे। चैती देवी मंदिर उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिलें में काशीपुर शहर के बस स्टैंड से 2.5 किलोमीटर दूर काशीपुर के कुँडेश्वरी मार्ग पर स्थित हैं। चैती देवी मंदिर को माता बालासुन्दरी मन्दिर भी कहा जाता है, बहुत से भक्त यहाँ आध्यात्मिक आनंद तल्लीन होने और पवित्र तीर्थस्थल पर जाने के लिए आते हैं। मंदिर को ज्वाला देवी मंदिर और उज्जैनी देवी के नाम से भी जाना जाता है। यह काशीपुर के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक हैं। द्रोण सागर के पास काशीपुर शहर के पुराने उज्जैन किले के बाद मंदिर का नाम उज्जैनी देवी रखा गया है। यह स्थान महाभारत से भी सम्बन्धित रहा है और इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। यह धार्मिक एवं पौराणिक रूप से ऐतिहासिक स्थान है और पौराणिक काल में इसे गोविषाण नाम से जाना जाता था। चैती देवी मंद...

श्री गणेश जी की आरती | Shree Ganesh Ji Ki Aarti

श्री गणेश जी की आरती | Shree Ganesh Ji Ki Aarti जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।  माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥  एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी ।  मस्तक सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी ॥   अन्धन को आँख देत कोढ़िन को काया ।   बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ॥   पान चढ़ें फूल चढ़े और चढ़ें मेवा । लड्डुअन को भोग लगे सन्त करें सेवा ॥  दीनन की लाज राखें शम्भु - सुतवारी ।  कामना को पूरा करें जग बलिहारी ॥  'सूरदास' शरण आयो सुफल कीजै सेवा ।  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥  गणपति जी का मंत्र  ॐ गं गणपतये नमः ।  ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः ।