सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आनंदी देवी माता मंदिर, पंतनगर उत्तराखंड

आनंदी देवी माता मंदिर, पंतनगर उत्तराखंड नमस्कार दोस्तो आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में पंतनगर में स्थित आंनदी देवी माता मंदिर के बारे में बतायेंगे। आंनदी देवी माता मंदिर उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के पंतनगर से 5 किलोमीटर दूर रुद्रपुर और हल्दी के बीच में पत्थरचट्टा नाम की जगह पर स्थित है। तथा इसके पास में टाटा मोटर्स कंपनी भी है। आंनदी देवी माता मंदिर बहुत ही प्राचीन, प्रसिद्ध और मान्यताओं वाला मंदिर है, मंदिर बहुत ही सुंदर जगह खेतों के मध्य स्थित हैं, मंदिर प्राकर्तिक सौंदर्य से भरपूर हैं। जिसके चारों तरफ कुछ हरे भरे पेड़ है, जिससे मंदिर की सुंदरता और भी अधिक मनमोहक कर देती है। आंनदी देवी माता मंदिर में दर्शन करने पर बहुत ही शांत माहौल का अभाव व आपको बहुत ही शुकुन मिलेगा। आंनदी देवी माता मंदिर में माँ दुर्गा अपने आंनदी देवी रूप में स्थित हैं। यहाँ पर इनकी मूर्ति स्थापित है, आंनदी देवी माता मंदिर की यह मान्यता है कि जो भी कोई भक्तजन अपनी मन्नतों को एक गांठ में बांधकर मंदिर में बांध देता है तो आंनदी देवी माता उसकी हर इच्छा पूर्ण करती है। आंनदी देवी माता मंदिर के बा...

उत्तराखंड में पंचबद्री कौन-कौन से है?

उत्तराखंड में पंचबद्री कौन-कौन से है? पंचबद्री- पंचबद्री को भगवान विष्णु को समर्पित हिंदू पवित्र तीर्थ स्थलों को कहा जाता है। विष्णु भगवान के इन मंदिरों को वास्तव में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है और पंचबद्री सतोपंथ से शुरू होने वाले क्षेत्र में बद्रीनाथ से लगभग 24 किलोमीटर ऊपर नंदप्रयाग तक फैले क्षेत्र में स्थित हैं। दक्षिण से यह पूरा क्षेत्र बद्री-क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और भगवान विष्णु के भक्तों के साथ-साथ हिंदू धर्म के अन्य लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है। श्री पंच बद्री उत्तराखंड के पंचबद्री 1. बद्रीनाथ (विशाल बद्री) 2. योगध्यान बद्री 3. भविष्य बद्री 4. वृद्ध बद्री 5. आदि बद्री  बद्रीनाथ (विशाल बद्री) भारत में सबसे महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल में से एक बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। 3,133 मीटर की ऊंचाई पर और नर और नारायण नामक पर्वत की गोद में स्थित है, भगवान विष्णु का यह निवास 108 दिव्य देशम (विष्णु के मंदिर) में से एक है। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य...

हरीशताल ओखलकांडा, (नैनीताल) उत्तराखंड

हरीशताल ओखलकांडा, (नैनीताल) उत्तराखंड  नैनीताल उत्तराखंड की दो ऐसी अनछुई तालें जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते है, इन तालों के नाम हरीशताल  और लोहाखाम ताल  है। आज हम यहां पर हरीशताल के बारे में बात करेंगे।  हरीशताल उत्तराखंड के नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक में स्थित है। हरीशताल हल्द्वानी से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है, यहां खुटानी से धनाचूली होते हुए ओखलकांडा में हरीशताल तक पहुँच सकते है।  हरीशताल यहां पर एक लोहाखाम ताल भी हैं जो कि हरीशताल से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और यहां पर एक लोहाखाम बाबा का मंदिर भी है जिस पर गांव वालों की बहुत आस्था और मान्यता है, यहां पर लोहाखाम देवता की पूजा की जाती है। कहते है कि लोहाखाम ताल की उत्पत्ति लोहे के कारण हुई थी इसलिए इसका नाम लोहाखाम ताल पड़ा। लोहाखाम ताल हरीशताल की सुंदरता बहुत ही मनमोहक कर देने वाली है, हरीशताल चारों ओर पहाड़ व घने हरे-हरे पेड़ों से घिरी हुई है। जो कि बहुत ही सुंदर दृश्य को दर्शाता है, और हरीशताल के हरे स्वच्छ पानी की सुंदरता बहुत ही मनमोहक है। और सबसे सुंदर यह...

लोहाखाम ताल ओखलकांडा, (नैनीताल) उत्तराखंड

लोहाखाम ताल ओखलकांडा, (नैनीताल) उत्तराखंड लोहाखाम ताल उत्तराखंड के नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लाक में स्थित हैं। यह काठगोदाम से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काठगोदाम से नैनीताल की दूरी भी इतनी ही है। लेकिन नैनीताल में पर्यटक लोग बहुत भरे रहते है और लोहाखाम ताल के बारे में किसी को पता ही नही है इसका कारण यहाँ का रास्ता खराब होना है यहां अभी बहुत कम लोग आते जाते है, यहां जाने वाला सड़क मार्ग अभी  बहुत कच्चा है। लोहाखाम ताल लोहाखाम ताल के सुन्दर दृश्य देखने लायक है, लोहाखाम ताल का पानी तथा चारो तरफ हरे-भरे पेंड़ मन को बहुत अधिक शूकून प्रदान करते है। लोहाखाम ताल की सुन्दरता को और अधिक बढ़ाते है यहा के गांव वासियों के घर, जो अभी भी समतल पत्थरों की छत वाले हैं। यहाँ पर आप शहर के कौतुहल से दूर प्रकृति के सौंदर्यं का अनुभव कर सकते है। ताल का पानी और ठंडी-ठंडी बहती हवा और शान्त वातावरण एक नयी स्फूर्ति प्रदान करती हैं। ओखलकांडा ब्लाक में एक लोहाखाम मन्दिर भी है। कहा जाता है कि इसकि उत्पत्ति लोहे से होने के कारण इसका नाम लोहाखाम पड़ा लोगों की लोहाखाम देवता में बहुत...

उत्तराखंड में पंच केदार कौन-कौन से है?

उत्तराखंड में पंच केदार कौन-कौन से है? नमस्कार दोस्तो आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में पंच केदार कौन-कौन से है। इसके बारे में विस्तार पूर्वक बतएगें तो पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें। उत्तराखंड में पंच केदार कौन-कौन से है- 1. केदारनाथ 2. तुंगनाथ 3. रुद्रनाथ 4. मध्यमहेश्वर 5. कल्पेश्वर उत्तराखंड में पंच केदार का अपना विशेष महत्व है। केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर पंचकेदार के नाम से विख्यात हैं। उत्तराखंड में पंच केदार (पाँच केदार) हिन्दुओं के पाँच शिव मंदिरों का सामूहिक नाम है। ये मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित हैं। इन मन्दिरों से जुड़ी कुछ किंवदन्तियाँ हैं जिनके अनुसार इन मन्दिरों का निर्माण पाण्डवों ने किया था। उत्तराखंड कुमाऊँ - गढ़वाल और नेपाल का डोटी भाग में असीम प्राकृतिक सौंदर्य को अपने गर्भ में छिपाए, हिमालय की पर्वत शृंखलाओं के मध्य, सनातन हिन्दू संस्कृति का शाश्वत संदेश देने वाले, अडिग विश्वास के प्रतीक केदारनाथ और अन्य चार पीठों सहित, नव केदार के नाम से जाने जाते हैं। श्रद्धालु तीर्थयात्...

उत्तराखंड का यमुनोत्री धाम मंदिर

उत्तराखंड का यमुनोत्री धाम मंदिर उत्तराखंड का यमुनोत्री धाम मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर देवी यमुना जी को समर्पित मंदिर है। यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड का यमुनोत्री धाम मंदिर छोटे चार धामों में से एक धाम है, यमुनोत्री धाम से यमुना नदी का उद्गम स्थल मात्र एक किमी की दूरी पर है। यहां पर बंदरपूंछ नामक चोटी (6315 मी) के पश्चिमी अंत में फैले यमुनोत्री ग्लेशियर को देखना अत्यंत रोमांचक है, गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यमुना पावन नदी का स्रोत कालिंदी पर्वत है। तीर्थ स्थल से एक कि. मी. दूर यह स्थल 4421 मी. ऊँचाई पर स्थित है।  दुर्गम चढ़ाई होने के कारण श्रद्धालू इस उद्गम स्थल को देखने से वंचित रह जाते हैं। यमुनोत्री मंदिर के कपाट वैशाख माह की शुक्ल अक्षय तृतीया को खोले जाते है, और कार्तिक माह की यम द्वितीया को बंद कर दिए जाते हैं। यमुनोत्री मंदिर का अधिकांश हिस्सा सन 1885 ईस्वी में गढ़वाल के राजा सुदर्शन शाह ने लकड़ी से बनवाया था, वर्तम...

उत्तराखंड का गंगोत्री धाम मंदिर

उत्तराखंड का गंगोत्री धाम मंदिर उत्तराखंड का गंगोत्री धाम मंदिर गंगा नदी का उद्गम स्थल है। जंहा गंगोत्री से गौमुख 19 किमी दूर स्थित है जंहा से भागीरथी नदी निकलती है, माँ गंगा जी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। गंगोत्री मंदिर उत्तराखंड का गंगोत्री धाम मंदिर उत्तरकाशी से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गंगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था। प्रत्येक वर्ष मई से अक्टूबर के महीनो के बीच पतित पावनी गंगा मैंया के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु तीर्थयात्री यहां आते है। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते है। उत्तराखंड का गंगोत्री धाम मंदिर की बनावट उत्तराखंड का गंगोत्री धाम मंदिर पवित्र एवं उत्कृष्ठ मंदिर सफेद ग्रेनाइट के चमकदार 20 फीट ऊंचे पत्थरों से निर्मित ह...

श्री केदारनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड

श्री केदारनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड केदारनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड-  केदारनाथ धाम मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है।उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में स्थित केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है, और साथ में छोटे चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया। जून 2013 के दौरान भारत के उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ मंदिर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा मंदिर की दीवारें गिर गई और बाढ़ में बह गयी। इस ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहे लेकिन मन्दिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का इलाका पूरी तरह तबाह हो गया था। श्री केदारनाथ धाम मंदिर के निर्माण ...

श्री बद्रीविशाल का बद्रीनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड

श्री बद्रीविशाल का बद्रीनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड श्री बद्रीविशाल का बद्रीनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच में स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों चार धामों में से एक है, यह एक बहुत प्राचीन मंदिर है। ऋषिकेश से यह 214 किलोमीटर की दुरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर श्री बद्रीविशाल का बद्रीनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड में जो प्रतिमा है वह भगवान विष्णु जी के एक रूप में  श्री "बद्रीनारायण" की है। श्री बद्रीविशाल का बद्रीनाथ धाम मंदिर की बनावट- श्री बद्रीनाथ मन्दिर अलकनन्दा नदी से लगभग 50 मीटर ऊंचे धरातल पर निर्मित है, और इसका प्रवेश द्वार नदी की ओर देखता हुआ है, मन्दिर में तीन संरचनाएं हैं: गर्भगृह, दर्शन मंडप, और सभा मंडप। बद्रीनाथ मन्दिर का मुख पत्थर से बना हुआ है और इसमें धनुषाकार खिड़कियाँ हैं, चौड़ी सीढ़ियों के माध्यम से मुख्य प्रवेश द्वार तक पहुंचा जा सकता ...