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जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उत्तराखंड ऊर्जा परिदृश्य

उत्तराखंड ऊर्जा परिदृश्य उत्तराखण्ड में प्रचुर मात्रा में जल की उपलब्धि राज्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण वरदान है। कई महत्त्वपूर्ण नदियाँ हिमाचल में बने ग्लेशियरों से निकलकर इस क्षेत्र में बहती हैं। यहाँ परियोजनाएं स्थापित कर बड़ी मात्रा में बिजली पैदा करने के सुअवसर प्राप्त हैं।  उत्तराखंड राज्य में ऊर्जा उत्पादन क्षमता एवं विकास- वर्तमान में मात्र अधिकतम क्षमता 1,310,25 मेगावाट है, जबकि सिंचाई विभाग के एक अध्ययन के अनुसार गढ़वाल में 15,000 तथा कुमाऊँ में 5,000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन प्रतिवर्ष किया जा सकता है। बिजली पैदा करने की क्षमता 4,812.11 मेगावाट है। उत्तराखण्ड की नई सरकार इस प्रदेश में उपलब्ध जल संसाधनों का सही उपयोग कर सकी, तो उत्तराखण्ड को प्रतिवर्ष विद्युत से 1.74 खरब की आय होगी, जो उत्तराखण्ड के बहुआयामी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। वर्ष 2009 में विद्युतीकृत ग्रामों का कुल आबाद ग्रामों से प्रतिशत 77.44 था, जो प्रदेश के औसत 75.93 % से थोड़ा अधिक है।  कृषि क्षेत्र में विद्युत ऊर्जा का उपभोग पर्वतीय क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की अपेक्षा बहुत कम है। वर्ष 1993-94 में क...

उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल की झीलें व ताल

उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल की झीलें व ताल नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल की झीलें व ताल के बारे में बतायेंगे। गढ़वाल की झीलें व ताल-  1. छिपला केदारताल- छिपला केदारताल समुद्र तल से 4,724.4 मीटर की ऊँचाई पर है। यहाँ छोटी - बड़ी 12 झीलें हैं। इन झीलों का जल स्वच्छ है। इनमें छिपला केदार, ब्रह्म, पटोद, काकटोल तथा मोताड़ झील प्रमुख हैं।  2. झिलमिल ताल-  झिलमिल ताल लगभग 2 किमी की परिधि में गोलाकार यह ताल साल, बाँज, बुराँस और देवदार के सघन वृक्षों से घिरा है। टनकपुर ब्रह्मदेव से यह लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित है। इसका जल नीला है।  3. तड़ागताल-  यह अल्मोड़ा जनपद के चौखुटिया से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। एक किलोमीटर लम्बा तथा आधा किलोमीटर चौड़ा यह ताल चीड़, देवदार, बाँज और बुरांस के वृक्षों से घिरा है। ग्रीष्मकाल में इसका कुछ हिस्सा सूख जाता है, जिसमें खेती भी की जाती है। इस ताल के निचले भाग से पानी की निकासी के लिए सुरंगें बनी हैं।  4. मंसूरताल-  टिहरी जनपद की सीमा ( घुत्तू ) से खतलिंग ग्लेशियर के ठीक सा...

बाबा बर्फानी अमरनाथ मंदिर

बाबा बर्फानी अमरनाथ मंदिर नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में बाबा बर्फानी अमरनाथ मंदिर के बारे में बताएंगे। बाबा बर्फानी अमरनाथ मंदिर- बाबा बर्फानी अमरनाथ मंदिर भारत के कश्मीर राज्य के श्रीनगर जिलें के उत्तर-पूर्व में 135 सहस्त्रमीटर दूर समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। अमरनाथ मंदिर हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। बाबा बर्फानी अमरनाथ मंदिर भगवान शिव- शंकर को समर्पित हैं। बाबा बर्फानी अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। इसी कारण से इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। वैसे अमरनाथ स्‍थित शिव लिंग को बर्फ का बना होने के कारण बाबा बर्फानी भी कहा जाता है।  इस गुफा की सबसे बड़ी विशेषता है यहां पर बर्फ के शिवलिंग का बनना जो अपने आप ही आकार लेता है। इस शिवलिंग का निर्माण गुफा की छत से पानी की बूंदों के टपकने से होता है जो नीचे गिरते ही बर्फ का रूप लेकर ठोस हो जाती हैं यही ठोस बर्फ एक विशाल ...

गोलू देवता न्याय के देवता

गोलू देवता न्याय के देवता नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड कुमाऊँ के लोकप्रिय व ईस्ट देवता गोलू देवता के बारे में बताएंगे जो न्याय के देवता भी कहे जाते हैं। जय बाला गोरिया-  न्यायकारी, दूधाधारी, गढ़ चम्पावत को राजा, झलराई को लाल तू, माता कालिंका को सांचो पूत, चितई चौधान में तू , घोड़ा संग घोड़ाखाल में तू, नमोव, चमड़खान और ताड़ीखेत में तू, सारे काली कुमाऊं तेरो राज गोरिया। धदिये की धाद सुनछे, दुखियाको को दुख हरछे, दूधक दूध पाणिक पाणी करछे। सांच मनल जो त्यर नाम ल्यौ उ कि मन इच्छा पूरि करछे। जय जय बाला गोरिया राति ब्याव, दिन दोपहर, त्यर नाम लिनू चार पहर, लगन लगे दिए, विघ्न हरे दिए। शोक संताप दूर करिए। मामू ( सैम राजा ) को साचो भांजा, गुरु गोरखनाथ को सच्चो चेला, हिले दे पतवार, लगे दे पार। एक बार, फिर तेरी जयजैकार। गोलू देवता-  कूर्मान्चल में व्यापक धार्मिक भावनाओं और उपासना पद्धतियों में ग्राम देवता या कुल देवता का विशिष्ट स्थान है। इनकी उपासना के मूल में भूत - प्रेत पूजा, सामन्ती व्यवस्था के प्रति तीव्र आक्रोश तथा अवर्गों के प्रति सवर्णो से प्रतिक्रियात्मक...

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिलें में बादल फटा, कई लोग मलबे में दबे

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिलें में बादल फटा, कई लोग मलबे में दबे कंकराड़ी और मांडो के कई घरों में घुसा मलबा, मोटर पुल ध्वस्त, देर रात एसडीआरएफ और प्रशासन ने शुरु किया रेस्क्यू- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिलें के चार गांवों में कुदरत का कहर टूटा है। रविवार की रात अतिवृष्टि से मांडो गाँव के लगभग नौ घर मलबे की चपेट में आये है। जिनमें कई लोगों और वाहनो के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एसटीएफ और पुलिस पहुंच गयी है और राहत - बचाव कार्य शुरु कर दिया है। निराकोट और पनवाड़ी में भी मलबा आने से खासा नुकसान पहुंचा है।  मांडों के देवानंद भट्ट ने बताया कि रात साढ़े आठ बजे के करीब पानी के तेज प्रवाह के साथ मलबा उनके घरों तक पहुँचा किसी को संभलने का मौका भी नहीं मिला। उनकी पत्नी, भाभी और तीन साल की भतीजी उनके घर के मलबे में दब गए हैं। मांडो के आठ अन्य घरों में नुकसान पहुंचा है। मलवा सड़क की ओर भी आया जहां की कई वाहनों के भी इसमें दबे होने की आशंका है। एक मोटर पुल भी धवस्त हुआ हैं।  भटवाड़ी के एसडीएम देवेंद्र नेगी ने बताया कि गधेरों में पानी आने से गाँवो में मलबा आया है। ...

उत्तराखंड के लोक देवता गोल्ज्यू देवता

उत्तराखंड के लोक देवता गोल्ज्यू देवता गोलू ( गोल्ज्यू ) देवता-  उत्तराखंड की पावन धरा को ऋग्वेद में देवभूमि कहा गया है, यह धरा ऐसी है, जहाँ देवी - देवताओं का सदैव वास रहता है। मनीषियों की पूर्ण कर्मस्थली भी इस पावन भूमि को कहा जाता है। यहाँ अनेक ऐसे चमत्कारिक धार्मिक स्थल हैं, जहाँ की ख्याति देश ही नहीं अपितु विदेशों तक है।  उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल में गोलू देवता को घर - घर में पूजा जाता है। जिन्हें लोग गोलू राजा, बाला गोरिया, ग्वेल देवता, गौर भैरव आदि नामों से जानते हैं। इन्हें न्यायकारी, दूधाधारी, कृष्णावतारी आदि विशेषणों से विभूषित किया गया है। त्वरित न्याय चाहने वाले लोग ईष्ट गोलू देवता के शरण में पहुँचते हैं।  इन्हें यहाँ लोक देवता का दर्जा प्राप्त है। जनपद बागेश्वर के कपकोट , पोथिंग आदि गांवों में ईष्ट गोलू देवता , देवी भगवती के साथ घर - घर में स्थापित हैं। यहाँ लोग मार्गशीष चैत्र की नवरात्रों में धूमधाम से बाला गोरिया के साथ देवी भगवती की पूजा करते हैं। कुमाऊँ में गोलू देवता के प्रसिद्ध मन्दिर चम्पावत, चितई ( अल्मोडा ) और घोडाखाल ( नैनीताल ) में स्थित हैं। गोल...

उत्तराखंड मांगे भू- कानून

उत्तराखंड मांगे भू- कानून नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में चल रहे भू- कानून के बारे में चर्चा करेंगे। क्या है उत्तराखंड का भू- कानून- उत्तराखंड में भू और जनसंख्या नियत्रंण कानून क्या हैं, उत्तराखंड में इतने सालों से जनसंख्या वृद्धि हो चुकी जिसमें से 50 से 60 % लोग बाहर के हैं। जो उत्तराखंड में उत्तराखंड की जमीन खरीद के ले रहे हैं। जिससे उत्तराखंड में बाहर के लोग बढ़ते जा रहे हैं। उत्तराखंड में वैसे भी लोग पलायन कर रहे हैं। और यहाँ बाहर के लोग आ कर रोजगार कर रहे हैं।  उत्तराखंड की कंपनियों में भी बाहर के लोगो को पहले रखा जाता है। और उत्तराखंड के मूल निवासियों को बाद में जिससे बाहर के लोग यहाँ काम करके के यहाँ की जमीन खरीद रहे है। इसलिए अब उत्तराखंड के लोग यह मांग कर रहे है कि उत्तराखंड में बाहर के लोगो को जमीन ना बेचीं जाए इसलिए यहाँ उत्तराखंड के लोग उत्तराखंड भू- कानून और जनसंख्या नियत्रंण कानून की मांग कर रहे हैं। उत्तराखंड में भू कानून, जनसंख्या नियत्रंण कानून लागू करने और जोशियाड़ा में हाईटेंशन बिजली लाइन को हटाने की मांग की।  भाजपा के पूर्व जिला ...

त्रिजुगीनारायण मंदिर रुद्रप्रयाग उत्तराखंड

त्रिजुगीनारायण मंदिर रुद्रप्रयाग उत्तराखंड नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में स्थित त्रिजुगीनारायण मंदिर के बारे में बताएंगे। त्रिजुगीनारायण मंदिर- त्रिजुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रिजुगीनारायण गाँव में स्थित हैं। प्राचीन पगडण्डी मार्ग गुटठुर से होते हुए यह श्री केदारनाथ को जोड़ता है। इस मंदिर की वास्तुकला शैली केदारनाथ मंदिर के जैसी है जो इस गांव को एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थान का केंद्र बनाता हैं। त्रिजुगीनारायण मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित हैं। उत्तराखंड के त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शादी करने वाले जोड़े की जिंदगी संवर जाती है। इसी मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। आज भी इनकी शादी की निशानियां यहां मौजूद हैं। त्रियुगीनारायण मंदिर की एक खास विशेषता है, मंदिर के अंदर जलने वाली अग्नि जो सदियों से यहाँ जल रही है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जी और देवी पार्वती जी ने इसी अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था। इसलिए इस जगह का नाम त्रियुगी पड़ गया जिसका मतलब है, अग्नि ...

उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ मण्डल की ताल तथा झीलें

उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ मण्डल की ताल तथा झीलें नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ मण्डल की ताल तथा झीलों के बारे में बतायेंगे। उत्तराखण्ड हिमालय में कई झीलें हैं, जिनका निर्माण भूमि के धरातल पर भू-गर्भीय शक्तियों द्वारा परिवर्तन के परिणामस्वरूप तथा हिमानियों द्वारा हुआ है। हिमनद निर्मित तथा भू - गर्भीय शक्तियों द्वारा निर्मित झीलें स्थायी है। भूमि अवतलन के धरातल पर विशाल गर्त उत्पन्न हो जाते है, जिनमें जल भरने पर झीलें बनती हैं। कुमाऊं की अनेक झीलें इसी प्रकार की हैं। इसके अलावा हिमनदों द्वारा निर्मित गर्तो में हिम के पिघले हुए जल से हिमानी निर्मित झीलों का निर्माण होता है। उत्तराखण्ड राज्य अनेक झीलों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। उत्तराखंड राज्य की कुमाऊँ की झीलें / ताल- 1. नैनीताल- नैनीताल की ऊंचाई समुद्र सतह से 1,983 मी, झील की गहराई 15 से 90 फीट तथा क्षेत्रफल 132.5 एकड़ है। इस झील की खोज 1839 ई. में अंग्रेज पर्यटक पी बैरन द्वारा की गई। जनसंख्या के बढ़ते आवागमन एवं पर्यटन के बढ़ने के कारण नैनी झील का पानी प्रदूषित हो गया है। 2. भीमताल- भीमताल ...

ऑनलाइन प्ले स्कूल क्लासेज | play school classes in hindi

ऑनलाइन प्ले स्कूल क्लासेज | play school classes in hindi हेलो दोस्तों अगर आप भी अपने बच्चों को घर बैठे ऑनलाइन प्ले स्कूल क्लासेस का कोर्स और पढ़ाना चाहते है तो आप नीचे दिए गए यूट्यूब के इस लिंक पर क्लिक करके पहुँच सकते हैं। Watch "Kids Color Academy" on YouTube https://youtube.com/channel/UCmkKh599RpPJUxgRcc1lMTA?sub_confirmation=1 Youtube में आप लोग जाकर Kids Color Academy Channel को सर्च करके उसमें वीडियोस देख सकते है और सब्सक्राइब भी कर सकते हैं। दोस्तों अगर आपके घर में भी 2 से 5 साल तक के बच्चें है तो उन्हें प्ले स्कूल की क्लासेस देना जरूरी है और ऑनलाइन Play School Classes ke syllabus को सिखाने के लिए आप  https://youtube.com/channel/UCmkKh599RpPJUxgRcc1lMTA?sub_confirmation=1   को सब्सक्राइब कर सीख और सिखा सकते हैं। Friends Play School Classes के कोर्स को कोई भी माता- पिता अपने बच्चों को घर बैठे ऑनलाइन प्ले स्कूल की की स्टडी करा सकता हैं। Play School Classes को आप बड़ी आसानी और आसान से हिंदी भाषा के साथ अपने बच्चों को सिखा सकते हैं। Youtube Channel Kids Color Academy ...

उत्तराखंड राज्य की हिमानियाँ

उत्तराखंड राज्य की हिमानियाँ नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य की हिमानियाँ के बारे में बताएंगे। उत्तराखंड राज्य की हिमानियाँ- जलनिधि समुद्र के लिए कहा जाता है, लेकिन हिमालय भारत के लिए समुद्र से भी महत्वपूर्ण जलनिधि है। यह जल हिमानियों के रूप में भण्डारित है, इसलिए हिमालय को भारत का वाटर बैंक कहा गया है। सभी हिमानिया हिमरेखा से ऊपर स्थित है। हिमालय में हिमरेखा लगभग 4,000 मी से शुरू हो जाती है। हिमालय में लगभग 15,000 छोटी - बड़ी हिमानियाँ हैं। एक सामान्य हिमालीय ग्लेशियर में 10 क्यूबिक किमी पानी होता है। हिमानियां उच्च हिमालय में स्थित हैं। जब भी बरसाती हवाएँ यहाँ पहुँचती हैं, तो शून्य से कम तापमान होने के कारण ये बर्फ की वर्षा करती हैं। यह क्रम चलता रहता है। फलतः हिमालय में इस तह के ऊपर तह बर्फ जमती चली जाती है और विराट हिमानियों का रूप ले लेती है। उत्तराखण्ड हिमालय में अनेक हिमानियाँ हैं- जिनमें मिलम हिमनद ( 19 किमी ), गंगोत्री ( 29 किमी ), सतोपंथ ( 11 किमी ), बड़ा शिगड़ी ( 30 किमी ), उत्तरी नन्दादेवी ( 19 किमी ), माना ( 19 किमी ), भागीरथ खड़क ( 19 ...

उत्तरांचल उत्तराखंड कैसे बना ?

उत्तरांचल उत्तराखंड कैसे बना ? नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में बताएंगे कि उत्तरांचल उत्तराखंड कैसे बना। उत्तरांचल से उत्तराखंड- 24 अगस्त, 2006 को केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने उत्तरांचल राज्य के गठन के उपरान्त से ही उठ रहे राज्य के नाम सम्बन्धी विवाद के तहत इस राज्य का नाम बदलकर उत्तराखण्ड रखने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी। प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में मन्त्रिमण्डल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को अनुमोदित किया।  भारतीय संविधान के भाग -1 के अनुच्छेद -3 के तहत किसी राज्य के नाम बदलने के प्रस्ताव को मन्त्रिमण्डल की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेजा जाता है। इस संवैधानिक औपचारिकता को पूरा करने के लिए राष्ट्रपति इस प्रस्ताव को राज्य के विधानसभा के विचार जानने के लिए भेजता है । विधानसभा के विचार जानने के उपरान्त मन्त्रिमण्डल इस प्रस्ताव को संसद में पेश करता है।  इस प्रक्रिया के चलते 12 अक्टूबर, 2006 को उत्तरांचल राज्य की विधानसभा ने राज्य के नाम में परिवर्तन सम्बन्धी विधेयक, 2006 को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसके उपरान्त यह प्रस्ताव संसद के शीतकालीन स...