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नवंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उत्तराखंड राज्य के प्रमुख दिवस | Important days in Uttarakhand

उत्तराखंड राज्य के प्रमुख दिवस | Important days in Uttarakhand नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी इस नई पोस्ट में जिसमें हम बात करने वाले हैं, उत्तराखंड में मनाए जाने वाले प्रमुख और महत्वपूर्ण दिवस के बारे में। 1. राज्य जल दिवस -   👉👉👉👉     25 मई  2. हरियाली दिवस -    👉👉👉👉     5 जुलाई  3. प्रेरणा दिवस -      👉👉👉👉     12 अगस्त   ( प्रेरणा दिवस नरेंद्र सिंह नेगी जी के जन्मदिवस पर मनाया जाता है, जो की उत्तराखंड के एक मशहूर गायक हैं। ) 4. राज्य कुमाउँनी बोली दिवस-  👉👉👉👉  1 सितंबर   (2018 से) 5. राज्य गढ़वाली बोली दिवस-  👉👉👉👉  2 सितंबर (2018 से)  6. हिमालय दिवस-   👉👉👉👉   9 सितंबर (2015 से) 7. उत्तराखंड गौरव दिवस-   👉👉👉👉  10 सितंबर (  भारत रत्न गोविंद वल्लभ पंत जी के जन्म दिवस पर ) 8. जागर संरक्षण दिवस-    👉👉👉👉   17 सितंबर    ( जागर गायक प्रीतम भरतवाण के जन्म...

उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों (ढोल दमाऊ) की थाप में नाचने वाले देवी देवता

उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों (ढोल दमाऊ) की थाप में नाचने वाले देवी देवता नमस्कार दगडियों वैसे तो आप सभी को ही पता होगा कि उत्तराखंड देवी देवताओं के क्षेत्र में बहुत ही चर्चित रहा है। और उत्तराखंड को देवभूमि भी इसी कारण कहा जाता हैं। अर्थात् उत्तराखंड के लोगों द्वारा यहां के कुल देवी देवताओं को काफी माना जाता है। और उनकी पूजा अर्चना की जाती है। जिनका संबंध पुरानी गाथाओं से है। उत्तराखंड के प्रमुख देवी देवता । गढ़वाल में पूजे जाने वाले प्रमुख देवी देवता। बाबा भैरव नाथ नरसिंह देवता मां काली मां दुर्गा मां ज्वाल्पा हनुमान जी नागराज देवता (शिव जी) घड़ियाल देवता सैम देवता लाटू देवता मां नंदा देवी कंडोलिया देवता कुमाऊं में पूजे जाने वाले प्रमुख देवी देवता। गोलू ( गोल्ज्यू ) देवता बिनसर महादेव मां भगवती माँ नैना ( नयना ) देवी माँ नंदा देवी मां महाकाली देवी कलबिष्ट देवता एड़ी देवता हरज्यूँ देवता गुरु गोरखनाथ देवता गंगनाथ देवता भोलनाथ देवता मसाण देवता कलुवा देवता लोहाखाम देवता उम्मीद करते है, आपको पोस्ट पसन्द आयी होगी। उत्तराखंड के इतिहास, सांस्कृतिक, साहित्यिक, उत्तराखंड के सौंदर्य, ...

क्या है उरेडा ? | what is UREDA ?

क्या है उरेडा ? | what is UREDA ? नमस्कार दोस्तों आज हम अपनी इस पोस्ट में बात करने वाले है, कि उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाई गई एक ऐसी एजेंसी की जिसका कार्य उत्तराखंड में बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना है। और साथ ही बिजली उत्पादन के नए तरीके ढूंढना है, व उन पर नवीनीकरण करके विकास की ओर अग्रसर होना है। UREDA दोस्तों बात करें उरेड़ा (UREDA) की तो इसका पूरा नाम उत्तराखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी ( Uttarakhand Renewable Energy Development Agency) है। UREDA का मुख्यालय देहरादून के पटेलनगर में स्थित है।इसकी स्थापना जुलाई 2001 में हुई थी। UREDA 2 मेगावाट जलविद्युत परियोजनाओं तक निर्माण का कार्य कर सकता है। और साथ ही ग्रामीण जो घराट होते हैं, उनको भी अपग्रेड करने का काम करता है। उत्तराखंड के सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी भी उत्तराखंड में कई जल घराट स्थित हैं। और उरेडा के मुताबित घराट के द्वारा भी 1-5 kw बिजली पैदा की जा सकती है। अब बात करते है उरेडा ( UREDA) के अंतर्गत  कुछ विशेष कार्यों की- उरेडा (UREDA) द्वारा शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों तक भरपूर बिजली पहुंचना। सौर ऊर्जा (sol...

मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना (MGKY) | Mukhyamantri Ghasiyari Kalyani Yojana

मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना (MGKY) | Mukhyamantri Ghasiyari Kalyani Yojana नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका एक और नई पोस्ट के साथ आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना (MGKY) | Mukhyamantri Ghasiyari Kalyani Yojana के बारे में बताएंगे। दोस्तों, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी द्वारा इस योजना को 25 फरवरी 2021 को मंजूरी दी गई थी।इसके बाद, अब हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान श्री पुस्कर सिंह धामी जी (जो की वर्तमान में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं) और देश के गृहमंत्री (अमित शाह) जी के द्वारा इस योजना की शुरुआत की घोषणा की गई है। दोस्तों, इस योजना का लाभ उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली उन महिलाओं को मिलेगा जो की अपने मवेशियों के लिए चारा लेने जंगल जाया करती हैं। अर्थात् इस योजना का मुख्य बिंदु यही है की उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों की महिलाओं को  अपने मवेशियों (गाय,भैंस,बकरी आदि) के लिए चारे के बंदोबस्त के लिए जंगल जाके परेशानी न उठानी पड़े। क्योंकि महिलाओं द्वारा जंगल जाकर चारा लाने के लिए काफी कष्ट...

इगास बग्वाल (बूढ़ी दिवाली) उत्तराखंड | Egas Bagwal Budhi Diwali Uttarakhand

इगास बग्वाल (बूढ़ी दिवाली) उत्तराखंड | Egas Bagwal Budhi Diwali Uttarakhand नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में इगास बग्वाल (बूढ़ी दिवाली) क्यों मनाई जाती हैं, इसके बारे में बताएंगे। पूरे देश में दीपावली बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। और पुरानी कथाओं की माने तो इसका कारण इस दिन भगवान श्री राम चंद्र जी लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या आये थे। इसी खुशी में दीपावली मनाई जाती है। और बात करे उत्तराखंड की तो यहां भी पूरे देश की तरह ही उसी दिन दीपावली मनाई जाती है और इसे उत्तराखंड की पारंपरिक भाषा में बग्वाल नाम से जाना जाता हैं। और इसी के साथ हम आपको बता दे की उत्तराखंड में इसी तरह एक और त्योहार मनाया जाता है, जो की बग्वाल (दीपावली ) से ठीक 11 दिनों बाद मनाया जाता है। उत्तराखंड में इगास (बूढ़ी दिवाली) क्यों मनाई जाती है- इगास बग्वाल (कणसी दिवाली)- उत्तराखंड में दिवाली के 11 दिन बाद फिर से एक दिवाली मनाई जाती जिसे इगास बूढ़ी दीवाली कहते। 11 दिन बाद फिर से ये त्यौहार मानने के पीछे कई कहानी है जो कि इस प्रकार हैं। माधो सिंह भंडारी टिहरी के राजा महीपति शाह की सेना के स...

पिथौरागढ़ का हरनंदा मंदिर | Harnanda Mandir Pithoragarh Uttarakhand

पिथौरागढ़ का हरनंदा मंदिर | Harnanda Mandir Pithoragarh Uttarakhand नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ का हरनंदा मंदिर के बारे में बताएंगे। हरनंदा मंदिर बुंगाछीना- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर बुंगाछीना के दक्षिण की ऊँची पहाड़ी पर नंदा देवी मंदिर (हरद्यौ) की स्थापना है। स्थानीय मान्यतानुसार पूर्व में यहाँ 'हरगंगा’ नदी प्रवाहमान थी। इसी से इस देवी का नाम 'हरनंदा’ प्रसिद्ध हुआ। कहा यह भी जाता है कि कुमाऊँनी में 'हरद्यौ’ नाम 'हर नंदा द्योथल’ (देवस्थल) का अपभ्रंश रूप है। श्रावण मास की कर्क संक्रान्ति को इस मंदिर में प्रतिवर्ष मेला लगता है। हरनंदा मंदिर ('हरद्यौ’) में कई भग्न वैष्णव मूर्तियाँ हैं। एक लघु थान में कलात्मक लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा कार्त्तिकेयपुर के खस राजाओं के समय की कही जाती है। मुख्य मंदिर के गर्भगृह में हैमवती शैली के दो लघु मंदिर हैं। एक माँ नंदा और दूसरा भगवान शिव जी का हैं। इन दो मंदिरों की सुरक्षा हेतु बाहर से सीमेंट द्वारा एक बड़ा मंदिर बना दिया गया है। इस स्थल से उत्तर में नंदाकोट और प...

उत्तराखंड में जब परियों ने उत्तराखंड के लोगो को किया अपहरण

उत्तराखंड में जब परियों ने उत्तराखंड के लोगो को किया अपहरण नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में  उस घटना के बारे में बताएंगे जब उत्तराखंड में जब परियों ने उत्तराखंड के लोगो को किया अपहरण। उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित खैट पर्वत लाखों लोगों के आस्था का केंद्र बन चुका हैं। माना जाता है कि इस पर्वत में अप्सराओं का राज हैं। इन्हीं अप्सराओं या परियों को खैट पर्वत में आज भी यहां देखा जाता हैं, उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में खैट पर्वत में यह परियां वनदेवियां हुआ करती थी। जिन्हें आन्छरी - माँछरी नाम से जाना जाता हैं।  माना जाता हैं कि अगर इन वन देवियों को कोई पुरष पसन्द आ जाये तो ये वन देवियां उन्हें मूर्छित करके अपने पास ले जाती हैं। उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में स्थित यह पहाड़ थात गाँव की सीमा पर आता हैं। इस पर्वत की ऊँचाई 10000 फ़ीट है, खैट पर्वत की चोटी गुम्बत आकर की दिखती हैं।  कहा जाता हैं, कि इस पर्वत की 9 श्रखंलाओ में 9 परियो का वास हैं। ये 9 परियां 9 बहने है, जो आज भी यहाँ अदृश्य रूप में यहाँ वास करती हैं। अमेरिका के Massachusetts's के वैज्ञानिकों ने भी माना कि य...