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प्रद्युम्नशाह के बाद के गढ़वाल नरेश

प्रद्युम्नशाह के बाद के गढ़वाल नरेश • सुदर्शनशाह ( 1815-1859 )- गढ़वाल का विभाजन, 28 दिसम्बर, 1815 को राजधानी श्रीनगर से टिहरी स्थानांतरित।  • भवानीशाह ( 1859-1871 )-  • प्रतापशाह ( 1871-1886 )- टिहरी में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत।  • सर कीर्तिशाह ( 1886-1913 )- 1898 में अंग्रेजों ने इन्हें सीएसआई की उपाधि दी।  • नरेन्द्रशाह ( 1913-1946 )- प्रजामंडल की मांग में जन आन्दोलन, स्वतंत्रता आन्दोलन एवं रियासत को समाप्त करने मांग।  • मानवेन्द्रशाह ( 1946-1949 )-  भारत के स्वतंत्र हो जाने के कारण स्वतंत्रता की मांग और आन्दोलन, फरवरी 1948 में प्रजातंत्रात्मक शासन के लिए 4 सदस्यीय प्रजामंडल की स्थापना, 1 अगस्त 1949 को भारत में विलय और उ.प्र. एक जिला बना।  •  इस वंश का प्राचीनतम ताम्रपत्र राजा जगतपाल का है, जो कि देवप्रयाग के रघुनाथ मंदिर से मिला है। इसका काल 1455 ई. है।

उत्तराखंड राज्य निर्माण आन्दोलन के शहीद

उत्तराखंड राज्य निर्माण आन्दोलन के शहीद नमस्कार दोस्तों आज हम अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य निर्माण करने के लिए आन्दोलन के शहीद लोगों के बारे में बतायेंगे। उत्तराखंड राज्य निर्माण आन्दोलन के शहीद- • 8 अगस्त, 1994 को पौढ़ी में जीतबहादुर गुरंग शहीद हुए।  • 1 सितम्बर, 1994 के खटीमा कांड के शहीद-   धर्मानंद भट्ट, गोपीचन्द, रामपाल, भगवान सिंह सिरोला, प्रताप सिंह, परमजीत सिंह, सलीम अहमद और भुवन सिंह। • 2 सितम्बर, 1994 के मसूरी कांड के शहीद-  धनपत सिंह, बेलमती चौहान, रायसिंह बंगारी, हंसा धनाई, मदन मोहन मंमगाई, बलवीर सिंह नेगी, जेठूसिंह व उमाशंकर त्रिपाठी ( डीएसपी )।  • 2 अक्टूबर, 1994 को दिल्ली में आयोजित रैली में भाग लेने जा रहे आन्दोलनकारियों में से रामपुर तिराहा ( मुजफ्फरनगर ) पर शहीद-  गिरीश कुमार भद्री, सतेन्द्र सिंह चौहान, रवीन्द्र रावत, सूर्यप्रकाश थपलियाल, राजेश लखेड़ा और अशोक कुमार कोशिव।  •  3 अक्टूबर, 1994 को भड़के आंदोलन के शहीद- -देहरादून मे राजेश रावत, दीपक वालिया, जयानंद बहुगुणा व बलवंत सिंह जंगवाण।  -कोटद्वार में पृथ्वीसिंह बि...

उत्तराखंड कुमाऊँ क्षेत्र के प्रमुख किलें

उत्तराखंड कुमाऊँ क्षेत्र के प्रमुख किलें खगमरा किला- अल्मोड़ा के पूर्व में स्थित इस किले का निर्माण राजा भीष्मचंद ( 1555-60 ) ने कराया था। लालमंडी किला- अल्मोड़ा के पल्टन बाजार स्थित छावनी के भीतर इस किले को 1563 में राजा कल्याणचन्द ने बनवाया था। इसे फोर्ट मोयरा भी कहा जाता है। मल्ला महल किला- अल्मोड़ा नगर के ठीक मध्य में स्थित इस किले में वर्तमान में कचहरी , जिलाधीश कार्यालय व अन्य कई सरकारी दफ्तर है। इसे भी चंदवंशीय राजा कल्याणचंद ने बनवाया था। राजबुंगा किला- चम्पावत में स्थित इस किले को चंदवंशीय राजा सोमचंद ने बनवाया था। नैथड़ा किला- यह अल्मोड़ा जनपद के रामनगर - गनाई मार्ग पर मासी से लगभग 5 किमी. की खड़ी चढ़ाई पर नैथड़ा देवी मंदिर के नजदीक है। इसे गोरखाकालीन माना जाता है। सिरमोही किला-  तहसील लोहाघाट में स्थित ग्राम सिरमोली में यह प्राचीन किला है।  बाणासुर किला-  चम्पावत जिले में लोहाघाट - देवीधुरा मार्ग से 7 किमी की दूरी पर एक ऊँची चोटी पर स्थित इस किले की लम्बाई 80 मी. और चौड़ाई 20 मी. है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इसका निर्माण बाणसूर नामक दैत्य...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी भजन राधा रानी लिरिक्स | बाबा हंसराज रघुवंशी राधा रानी भजन 2021

श्री कृष्ण जन्माष्टमी भजन राधा रानी लिरिक्स | बाबा हंसराज रघुवंशी राधा रानी भजन 2021 गीतकार:- हंसराज रघुवंशी संगीतकार:- रिकी टी गिफ्टरूलर्स लेखक:- हंसराज रघुवंशी गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो । राधा रमन हरि गोविंद बोलो ।।  राधे राधे राधे राधे ।  राधे राधे राधे ।।  राधे राधे राधे राधे ।  राधे राधे राधे ।।  तेरे बिना कृष्णा मेरे   राधा रानी आधे ।  तेरे बिना कृष्णा मेरे   राधा रानी आधे ।।  कान्हा नित मुरली में तेरे  सुमीरे बारम बार ।  कोटिन रूप धरे मन मोहन  तहु न पावे पार ।।  रूप रंग की छबिली  पट्ट रानी लागे ।  पट्ट रानी लागे ।  मैनु खारो खारो  जमुना जी का पानी लागे ।।  मीठे रस से भरीरे  राधा रानी लागे ।  राधा रानी लागे ।  मैनु खारो खारो  जमुना जी का पानी लागे ।।    मीठे रस से भरीरे  राधा रानी लागे ।  राधा रानी लागे ।  मैनु खारो खारो  जमुना जी का पानी लागे ।।  यमुना मैया कारी - कारी  राधा गोरी गोरी ।  वृंदावन में धूम मचावे ...

बद्रीनाथ धाम में भी श्री आदि केदारेश्वर | बद्रीनाथ धाम | केदारनाथ धाम

बद्रीनाथ धाम में भी श्री आदि केदारेश्वर | बद्रीनाथ धाम | केदारनाथ धाम नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में बद्रीनाथ धाम में भी श्री आदि केदारेश्वर जी से जुड़ी कुछ जानकारी के बारे में बताएंगे जो हमे सोशल मीडिया फेसबुक से प्राप्त हुई हैं। बद्रीनाथ धाम में भी श्री आदि केदारेश्वर के रूप में बाबा केदार निवास करते हैं। 'स्कंद पुराण' के 'केदारखंड' में उल्लेख है कि बदरीनाथ धाम पहले भगवान शिव का ही धाम था, लेकिन भगवान नारायण के यहां विराजमान होने से भगवान शिव केदारपुरी चले गए। हालांकि, श्री आदि केदारेश्वर के रूप में आज भी बदरीनाथ धाम में दर्शन देते हैं। 'स्कंद पुराण' में कहा गया है कि जो यात्री केदारनाथ धाम नहीं जा सकते, वे बदरीनाथ में ही बाबा केदार के दर्शन कर सकते हैं।  इन दिनों श्रावण मास के चलते आदि केदारेश्वर मंदिर में भी भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जा रहा है। बदरीनाथ और आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट एक ही दिन खुलते हैं और बदरीनाथ के कपाट बंद होने से तीन दिन पूर्व आदि केदारेश्वर के कपाट बंद हो जाते हैं।स्कंद पुराण' में कथा आती है कि भगवान शिव माता पार्...

उत्तराखंड राज्य के प्रमुख बुग्याल

उत्तराखंड राज्य के प्रमुख बुग्याल नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड राज्य के प्रमुख बुग्याल के बारे में बताएंगे। उत्तराखंड राज्य के प्रमुख बुग्याल- • सतोपंथ, घसतोली, रताकोण, लक्ष्मीबन-  ये सभी बुग्याल चमोली के अंतिम गांव माणा से ऊपर है।  • नंदनकानन - यह फूलों की घाटी के ऊपर हैं।  • फूलों की घाटी- चमोली ( जोशीमठ - बद्रीनाथ मार्ग पर, यह नर एवं गंध मादन पर्वतों के मध्य के भ्यूंडार घाटी में स्थित है, भ्यूंडार गंगा पार्क तथा स्माइथ पार्क इसके अन्य नाम है, ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक स्माइथ ने इसकी खोज 1931 में की थी। • औली-   चमोली ( जोशीमठ से 15 किमी. दूर ), साहसिक पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध, नंदादेवी, कामेट, माणा, द्रोणागिरि, नीलकंठ तथा हाथी - गौरी पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा, यह बुग्याल एशिया का सुन्दरतम ढाल वाला स्कीइंग केन्द्र है, यहाँ स्कीइंग हेतु विदेशी लोग भी आते हैं।  • गुरसो- औली के पास, यहाँ हाथी पर्वत है।  • चित्रकांठा- चमोली  • क्वारी- चमोली ( विरही के ऊपर )  • चौफिट शिखर- चमोली ( मलारी के पास )  • कल्पनाथ- ...

उत्तराखंड से जुड़ी अनसुनी जानकारी

उत्तराखंड से जुड़ी अनसुनी जानकारी • 1814 में गढ़वाल और 1815 में कुमाऊँ पर अंग्रेजों के कब्जे के बाद कुमाऊँ जनपद का गठन किया गया और गढ़वाल नरेश से लिये गये क्षेत्र को कुमाऊँ का एक परगना बनाया गया और देहरादून को ( 1817 में ) एक जिला बनाकर सहारनपुर में सम्मिलित कर लिया गया। इस प्रकार अंग्रेजी शासन के आरम्भ में उत्तराखण्ड केवल दो राजनीतिक प्रशासनिक इकाइयों ( कुमाऊँ जनपद और टिहरी रियासत ) में गठित था।  • 1840 में ब्रिटिश गढ़वाल का मुख्यालय श्रीनगर से हटाकर पौढ़ी लाया गया और पौड़ी गढ़वाल नामक नये जनपद का गठन किया गया।  • 1854 में नैनीताल को कुमाऊँ मण्डल का मुख्यालय बनाया गया और 1890 तक कुमाऊं कमिश्नरी में केवल ( कुमाऊं और पौढ़ी गढ़वाल ) दो जिले ही रहे।  • 1891 में कुमाऊं को अल्मोड़ा और नैनीताल नामक दो जिलों में बाँटा गया। यह स्थिति स्वतंत्रता तक बनी रही। अर्थात स्वतंत्रता तक कुमाऊं मण्डल में केवल तीन जिले ( पौढ़ी, अल्मोड़ा और नैनीताल ) तथा एक रियासत ( टिहरी ) थी।  • स्वतंत्रता के बाद। अगस्त 1949 को टिहरी रियासत को कुमाऊं मण्डल के चौथे जिले के रूप में सम्मिलित किया गया।...

उत्तराखंड का सबसे स्वादिष्ट पकवान " रोटना " जानिये कैसे बनता है ? | पहाड़ी मिठाई

उत्तराखंड का सबसे स्वादिष्ट पकवान "रोटना" जानिये कैसे बनता है ? | पहाड़ी मिठाई नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड का सबसे स्वादिष्ट पकवान रोटना ( रोटाना ) कैसे बनाया जाता है बताएंगे। उत्तराखंड का सबसे स्वादिष्ट पकवान रोटना या रोटाना उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल की एक पारंपरिक मिठाई है। और रोटना को कुमाऊँ मंडल में भी बनाया जाता हैं। रोटना को गेहूं के आटे, घी, गुड़ का पानी और नारियल को आपस में मिलाकर तैयार किया जाता हैं। यह खाने में स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।  रोटाना बाहर से कुरकुरा और अंदर से मुलायम होता है। गढ़वाल और कुमाऊँ के घर - घर में रोटना को बनाया जाता है इन्हें रोटना, रोटाना, रोटाने, रोट ( कल्यो ) व पहाड़ी बिस्किट या मिठाई भी कहा जाता हैं। रोटना को खासकर शादियों और त्यौहारों में बनाया जाता है और सबसे पहले अपने ईस्ट देवता को चढ़ाया जाता हैं।  रोटना को बनाया कैसे जाता हैं- रोटना को बनाने की सामग्री- गेहूं का आटा – 1 कप या 1/2 कप गुड़ – 1 कप घी – 1 बड़ी चम्मच छोटी इलाइची का पाउडर – आधी छोटी चम्मच दूध – 2 बड़ी चम्मच कसा हुआ सूखा नारियल – 2 बड़ी चम्मच पानी – ...

उत्तराखंड राज्य में जल - विद्युत परियोजनाएँ

उत्तराखंड राज्य में जल - विद्युत परियोजनाएँ उत्तराखंड राज्य शासन में जल - विद्युत उत्पादन की अनन्त सम्भावनाओं को देखते हुए इसे देश का भावी पावर हाउस माना जाने लगा है। जो परियोजनाएँ एक दशक से अधिक समय से बन्द पड़ी थी, उन्हें पुनः शुरू कराने का एक अभियान उत्तराखंड राज्य में आरम्भ कर दिया है। ऊर्जा प्रदेश के रूप में उत्तराखंड राज्य को परिवर्तित करने के लक्ष्य के साथ वर्तमान में 4,171.30 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं।  रन ऑफ रिवर तकनीक- यह सुरंग प्रणाली है, जिसका प्रयोग वर्तमान में उत्तराखंड राज्य की जल - विद्युत परियोजनाओं में किया जा रहा है। इस तकनीक में नदियाँ प्राकृतिक मार्ग के बजाए सुरंगों के माध्यम से अपना रास्ता तय करती हैं। इस तकनीक के प्रयोग से पर्यावरणीय समस्याओं में कमी आती है व गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है। उत्तराखण्ड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेण्ट एजेंसी           ( UREDA )- उत्तराखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेण्ट एजेंसी की स्थापना विशेष तौर पर पुनः उपयोग की जाने वाली ऊर्जा, जिसमें पानी, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा शामिल है के प्रयोग ...

उत्तराखण्ड जल-विद्युत निगम लिमिटेड ( UJVNL ) | पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लिमिटेड ( PTCUL )

उत्तराखण्ड जल-विद्युत निगम लिमिटेड ( UJVNL ) | पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लिमिटेड ( PTCUL ) उत्तराखंड जल-विद्युत निगम लिमिटेड ( UJVNL )- उत्तराखण्ड जल - विद्युत निगम लिमिटेड के पास राज्य में जल क्षमता के उपयोग की जिम्मेदारी है। इसके लिए निगम हमेशा अपनी तकनीकी क्षमता को बढ़ाता रहा है और इसके लिए दूसरे विभागों के साथ समन्वय बनाए रखता है।इस कारण यह भविष्य में काफी मात्रा में बिजली उत्पादन करने के प्रति कटिबद्ध हैं। उत्तराखण्ड में करीब 20,000 मेगावाट बिजली की जरूरत है। इसके लिए 1,124 मेगावाट क्षमता वाली 29 परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। इन परियोजनाओं से प्रतिदिन 900 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है। पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लिमिटेड ( PTCUL )- 1 जून, 2004 को उत्तराखण्ड पावर कॉर्पोरेशन से अलग कर पी टी सी यू एल की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य राज्य के बिजली ट्रांसमिशन की जरूरतों को पूरा करना है। उत्तराखण्ड राज्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अब तक यह तीन श्रेणियों- 132 किलोवाट, 220 किलोवाट और 400 किलोवाट में वोल्टेज उपलब्ध कराता है। इसकी स्थापना...

पंचप्रयाग उत्तराखंड की कहानी

पंचप्रयाग उत्तराखंड की कहानी नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के पंचप्रयाग के बारे में बताएंगे। उत्तराखंड के पंचप्रयाग- 1. देवप्रयाग 2. कर्णप्रयाग 3. रुद्रप्रयाग 4. नन्दप्रयाग 5. विष्णुप्रयाग 1. देवप्रयाग- देवप्रयाग यह स्थान है, जहाँ पर अलकनन्दा का भागीरथी नदी से मिलन होता है। यह दोनों पावन नदियों के संगम है। देवप्रयाग में दोनों नदियां मिलकर गंगा नाम से जानी जाती है। उत्तराखण्ड के पंचप्रयागों में से एक देवप्रयाग भी है। देवप्रयाग को देव शर्मा नाम के एक तपस्वी ने बसाया था। यहाँ स्थित रघुनाथ मन्दिर का पौराणिक महत्व है।  संगम से सीढ़ियों से चढ़कर रघुनाथ मन्दिर आता है। यह मन्दिर द्रविड़ शैली से निर्मित है। देवप्रयाग को सुदर्शन क्षेत्र भी कहा जाता है किंवदन्ती है कि जल प्रलय के समय भगवान सुदर्शन पर्वत पर ही अवस्थित रहे थे। देवप्रयाग समुद्र तल से लगभग 1,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहीं सिद्धपीठ चन्द्रबदनी स्थित है, जहाँ चैत्र और आश्विन में नवरात्र के समय पूजा - अर्चना का विशेष महत्त्व है। 2. कर्णप्रयाग- 1894 ई. की विरही की बाढ़ ने प्राचीन कर्णप्रयाग को बहा दिया...

उत्तराखंड पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ( UPCL )

उत्तराखंड पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ( UPCL ) U- UTTARAKHAND ( उत्तराखंड ) P- POWER ( पॉवर ) C- CORPORATION ( कॉर्पोरेशन ) L- LIMITED ( लिमिटेड ) UPCL- उत्तराखण्ड पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा बिजली वितरण का कार्य राज्य में किया जा रहा है। यू पी सी एल राज्य का सरकारी उपक्रम है और यह उत्तराखण्ड जल - विद्युत निगम लिमिटेड और पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लिमिटेड से बिजली प्राप्त करने तथा उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने के लिए अधिकृत किया है। उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना से पहले उपभोक्ताओं को औसतन 15-16 घण्टे बिजली प्राप्त होती थी, लेकिन अब राज्य के लोगों को औसतन 18-22 घण्टे तक बिजली मिलती है।

बाबा नीब करौरी महाराज के चमत्कार पर्दो में दिखेंगे

बाबा नीब करौरी महाराज के चमत्कार पर्दो में दिखेंगे प्रख्यात संत नीबकरौरी जी महाराज अब बड़े पर्दे पर भी दिखेंगे। बाबा के जीवन परिचय और उनके चमत्कार जो भक्त आज तक सिर्फ सुनते आए हैं उनके रूप और चमत्कार पर्दे पर देख सकेंगे। बाबा जी के जीवन पर आधारित फिल्म बाबा नीबकरौरी महाराज का काम शुरू हो गया है।  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने फिल्म का पोस्टर भी लॉचकर सार्वजनिक कर दिया है। हनुमान भक्त के रूप में पूजे जाने वाले बाबा जी के फरुखाबाद के नीबकरोरी धाम में ही नहीं बल्कि कई प्रदेश और देश में आश्रम हैं। अनीसा फिल्म्स के बैनर तले बनने वाली इस फिल्म के डायरेक्टर शरदचंद्र ठाकुर और निर्माता कनक चंद ने बताया कि इस फिल्म से भक्त बाबा के दर्शन और जीवन के बारे में ज्यादा जान सकेंगे।  बाबा जी की जीवनी पर यह पहली फिल्म बनने जा रही है। फिल्म में बाबा जी के जीवन के अलावा बाबा जी के बचपन से लेकर उनके वृंदावन में समाधि लेने तक की कहानी का फिल्मांकन किया गया है। लेखिका कविता रायजादा हैं। म्यूजिक डायरेक्टर अमेरिका के जय उत्तल हैं। गीत और संगीत आसिफ अली चंदवानी का है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ह...

श्री केदारनाथ मंदिर की एक अनसुलझी संहिता

श्री केदारनाथ मंदिर की एक अनसुलझी संहिता श्री केदारनाथ धाम एक अनसुलझी संहिता है। केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया, इसके बारे में कई बातें कही जाती हैं। पांडवों से लेकर आदि शंकराचार्य तक। आज का विज्ञान बताता है कि केदारनाथ मंदिर शायद 8वीं शताब्दी में बना था। यदि आप ना भी कहते हैं, तो भी यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में है। 21वीं सदी में भी केदारनाथ की भूमि भवन शिल्प के लिऐ सही नहीं है। एक तरफ 22,000 फीट ऊंची केदारनाथ पहाड़ी, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंची कराचकुंड और तीसरी तरफ 22,700 फीट ऊंचा भरतकुंड है। इन तीन पर्वतों से होकर बहने वाली पांच नदियां हैं मंदाकिनी, मधुगंगा, चिरगंगा, सरस्वती और स्वरंदारी। इनमें से कुछ इस पुराण में लिखे गए हैं। यह क्षेत्र "मंदाकिनी नदी" का एकमात्र भूखंड है। भवन शिल्प कलाकृति कितनी गहरी रही होगी। ऐसी जगह पर भवन कलाकृति बनाना,  जहां ठंड के दिन भारी मात्रा में बर्फ हो और बरसात के मौसम में बहुत तेज गति से पानी बहता हो। केदारनाथ ज्योत्रिलिंग आज भी आप गाड़ी से उस स्थान तक नहीं जा सकते जहां आज "केदारनाथ मंदिर" है। इसे ऐसी जगह क...

उत्तराखंड UPCL का बिल ऑनलाइन पेमेंट कैसे करें ?

उत्तराखंड UPCL का बिल ऑनलाइन पेमेंट कैसे करें ? नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड UPCL का बिल ऑनलाइन पेमेंट कैसे करते हैं बतायेंगे। उत्तराखंड UPCL का बिल ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए सबसे पहले आप लोग UPCL ( उत्तराखंड पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ) की ऑफिसियल वेबसाइट    https://www.upcl.org/ को अपने मोबाइल या डेस्कटॉप में गूगल क्रोम या किसी अन्य ब्राउज़र में वेबसाइट को ओपन कर लेंगे। वेबसाइट ओपन कर लेने के बाद इस तरह का पेज ओपन हो जाएगा उसके बाद आप लोगो को Electricity Bill Payment वाले ऑप्शन पर क्लिक करना हैं। उसके बाद इस तरह का पेज ओपन हो जाएगा जंहा पर आपको service connection number या फिर account number और image verification me captcha फील करना हैं उसके बाद Submit वाले बटन में क्लिक कर देना हैं। उसके बाद  इस तरह का पेज ओपन हो जाएगा जिसमे आपके पूरे बिल पेमेंट की डिटेल्स होंगी।  अगर आपके बिल पेमेंट का अमाउंट शो हो रहा है तो आप नीचे एक बिल पेमेंट का ऑप्शन आता है उस पर क्लिक करके आप बिल पेमेंट कर सकते हैं। और बिल भुगतान करने के बाद आपके फ़ोन या ईमेल...

उत्तराखंड के लोक देवता नरसिंह देवता

उत्तराखंड के लोक देवता नरसिंह देवता नमस्कार दगड़ियों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड गढ़वाल के शक्तिशाली लोक देवता नरसिंह देवता के बारे में बताएंगे। नरसिंह देवता मंदिर   हिंदू ग्रन्थों के अनुसार नरसिंह देवता भगवान विष्णु जी के चौथे अवतार थे। जिनका मुँह सिंह का और धड़ मनुष्य का था जो हिंदू ग्रन्थों में इसी रूप में पूजे जाते हैं। परन्तु उत्तराखंड में नरसिंह देवता को भगवान विष्णु के चौथे अवतार को नही पूजा जाता, बल्कि एक सिद्ध योगी नरसिंह देवता को पूजा जाता है। नरसिंह देवता इनकी जागर के रूप में पूजा की जाती हैं। नरसिंह, नारसिंह या फिर नृसिंह देवता का उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में चमोली जिलें के जोशीमठ में मंदिर स्थित हैं। जो भगवान विष्णु के चौथे अवतार को समर्पित हैं। परंतु इनका सम्बंध उत्तराखंड में जागर के रूप में पूजे जाने वाले नरसिंह देवता से नहीं है। क्योंकि जोशीमठ नृसिंह भगवान मंदिर में भगवान विष्णु अपने चौथे अवतार में पूजे जाते है, जो कि मुँह से सिंह और धड़ से मनुष्य रूप में हैं। परंतु उत्तराखंड के लोक देवता नरसिंह देवता जिन रूप में जागर के माध्यम से पूजे जाते है, वो ...