प्रद्युम्नशाह के बाद के गढ़वाल नरेश • सुदर्शनशाह ( 1815-1859 )- गढ़वाल का विभाजन, 28 दिसम्बर, 1815 को राजधानी श्रीनगर से टिहरी स्थानांतरित। • भवानीशाह ( 1859-1871 )- • प्रतापशाह ( 1871-1886 )- टिहरी में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत। • सर कीर्तिशाह ( 1886-1913 )- 1898 में अंग्रेजों ने इन्हें सीएसआई की उपाधि दी। • नरेन्द्रशाह ( 1913-1946 )- प्रजामंडल की मांग में जन आन्दोलन, स्वतंत्रता आन्दोलन एवं रियासत को समाप्त करने मांग। • मानवेन्द्रशाह ( 1946-1949 )- भारत के स्वतंत्र हो जाने के कारण स्वतंत्रता की मांग और आन्दोलन, फरवरी 1948 में प्रजातंत्रात्मक शासन के लिए 4 सदस्यीय प्रजामंडल की स्थापना, 1 अगस्त 1949 को भारत में विलय और उ.प्र. एक जिला बना। • इस वंश का प्राचीनतम ताम्रपत्र राजा जगतपाल का है, जो कि देवप्रयाग के रघुनाथ मंदिर से मिला है। इसका काल 1455 ई. है।
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