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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चमड़खान गोलू देवता मंदिर

चमड़खान गोलू देवता मंदिर नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड में स्थित चमड़खान गोलू देवता मंदिर के बारे में जानकारी देंगे। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में रानीखेत नगर से लगभग 25 किलोमीटर दूर चमड़खान मोटर मार्ग में गोलू देवता का मंदिर स्थित है। चमड़खान में गोलू देवता न्याय देवता के रूप में पूजे जाते हैं। चमड़खान गोलू देवता का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है। जंहा गोलू देवता के चरणों की पूजा की जाती हैं। चमड़खान क्षेत्र के लोगों की अपार श्रद्धा के केंद्र इस गोल्ज्यू मंदिर में चैत्र और आश्विन माह के नवरात्र और बैसाख को मेला लगता है। साल भर भी मंदिर में श्रद्धालुओं का आना - जाना लगा रहता है। मनौती पूरी होने पर भक्तजन चुनरी, बताशे और फल आदि अर्पित करते हैं। चमड़खान कस्बे के चीड़ वृक्षों के झुरमुटों के बीच में गोलू देवता का मंदिर है। चमड़खान गोलू देवता की कथा- चमड़खान गोलू मंदिर के बारे में मान्यता है कि पूर्व में जब गोलू देवता चंपावत से भ्रमण पर निकले तो उन्होंने चितई, ताड़ीखेत तथा चमड़खान में भी गोलू देवता ने एक सप्ताह तक अपना न्याय दरबार लगाया। लोगों ने गुह...

छुरमल देवता की कहानी

छुरमल देवता की कहानी नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के एक शक्तिशाली देवता छुरमल देवता की कहानी के बारे में बताएंगे। छुरमल देवता के अधिकाँश पूजास्थल, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सीरा और अस्कोट क्षेत्र के गाँवों में पाये जाते हैं। इनको बड़ा प्रभावशाली देवता माना जाता है। छुरमल देवता का प्रसिद्ध मन्दिर अस्कोट के गर्खा गाँव के ऊपर धनलेक पर्वत के शिखर पर है जहाँ पर बहुत बड़ा मेला लगता है। पूर्वजों की गाथा के अनुसार, यह धूमाकोट के कालसिन का पुत्र था। छुरमल देवता की गाथा- छुरमल देवता के पिता कालसिन का विवाह रिखीमन की पुत्री ह्यूंला के साथ हुआ था जो उस समय एक बालिका ही थी। कालसिन उसे घर पर छोड़कर देवताओं की सभा में चला गया। कुछ वर्षों बाद जब वह लौटकर आया तो ह्यूंला पूर्ण यौवन प्राप्त कर चुकी थी। फिर भी उसने अपनी पत्नी पर ध्यान नहीं दिया। इस पर ह्यूंला ने उस पर अपने को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। जिससे नाराज होकर कालसिन उसे छोड़कर वापस देवसभा में चला गया। छुरमल देवता की माँ ह्यूंला जब रजस्वला हुई तो उसकी सास ने उसके रजःस्नान के लिये ऐसा स्नानाग...

नंदा देवी के भाई लाटू देवता की कहानी

नंदा देवी के भाई लाटू देवता की कहानी नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में माँ नंदा देवी के भाई लाटू देवता की कहानी के बारे में बताएंगे। लाटू देवता जिनका उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के वॉण गांव में मंदिर है। यह विशेष मंदिर लाटू देवता का है जो इस मंदिर में कैद हैं। इस मंदिर के कपाट साल में केवल एक बार ही खुलते हैं और उस समय भी पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं। कहते हैं कि लाटू देवता इस मंदिर में नागराज के रूप में रहते हैं। उन्हें देखकर पुजारी डर न जाए इसलिए पुजारी आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर में जाते हैं। लाटू देवता भगवती नंदा देवी के धर्मभाई और भगवान शिव के साले हैं। नंदा देवी भी मां पार्वती का ही एक रूप है।  नंदा देवी का कोई भाई नहीं था। एक दिन कैलाश में माँ नंदा देवी सोचती है कि अगर उसका भी कोई भाई होता तो उनसे मिलने जरूर आता। उसके लिये भिटोली ( विवाहित बेटी को दी जाने वाली भेंट ) लेकर आता। इससे उसे भी अपने मायके के कुशल समाचार मिल जाते। ऐसा सोचते हुए नंदा देवी को मायके की याद आने लग जाती है। और वह उदास हो जाती हैं। भगवान ...

बाबा नीब करौरी के चमत्कार कोरोना संकट में अमृत है बाबा का आशीर्वाद

बाबा नीब करौरी के चमत्कार कोरोना संकट में अमृत है बाबा का आशीर्वाद बाबा नीब करौरी महाराज साक्षात् भगवान के रूप है। नीब करौरी बाबा भगवान श्री हनुमान जी के अवतार थे। निर्जीव शरीर में प्राण फूंक करके जीवनदान देना उनकी आध्यात्मिक शक्ति का पुख्ता प्रमाण है।  बाबा नीब करौरी भगवान के चमत्कारों की अनेक गाथाएं और सच्ची घटनाएं है। जिसमें बाबा नीब करौरी ने अनेक चमत्कार और लोगो के संकट दूर किये है। संकट के समय बाबा जी ने अपने भक्तोजनों का हमेशा साथ दिया है। वो हर किसी की सुनते है, बाबा हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करते है। बाबा नीब करौरी के चमत्कार कोरोना संकट में अमृत है बाबा का आशीर्वाद जो आजकल लोगों को कोरोना संकट में भी सहायता प्रदान कर रहा है।  बाबा नीब करौरी महाराज गृहस्थ संत थे प्रभु श्रीराम व हनुमान जी उनके आराध्य देव थे। राम - राम लिखना और भक्तों से श्रीरामचरित मानस व हनुमान चालीसा सुनना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। दुनिया में बाबा नीब करौरी जी के लाखों भक्त हैं जिन्हें सिर्फ गुरुदेव महाराज के आशीर्वाद का सहारा है। नीब करौरी बाबा जी की...

छिपलाकेदार देवता की कहानी

छिपलाकेदार देवता की कहानी नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के शक्तिशाली देवता छिपलाकेदार देवता की कहानी व इतिहास के बारे में बताएंगे। उत्तराखंड राज्य में अनेक खूबसूरत जगह व हिल स्टेशन हैं। उत्तराखंड एक टूरिस्ट प्लेस और अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां पर अनेकों देवी- देवताओं के मंदिर है। इसीलिए उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता हैं। उत्तराखंड में वैसे कई देवी - देवता हैं। परंतु आज हम उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में ईस्ट देवता के रूप में पूजे जाने वाले छिपलाकेदार देवता के बारे में बात करेंगे। छिपलाकेदार देवता की माता का नाम मैणामाई तथा पिता का नाम कोडिया नाग था। माता मैणामाई और पिता कोडिया नाग से जन्म लेने वाले छिपलाकेदार देवता दस भाई-बहन थे। जिसमें से तीन भाइयों में छिपलाकेदार सबसे छोटे थे। उदैण व मुदैण दो भाई और होकरा देवी, भराड़ी देवी, कोडिगाड़ी देवी, चानुला देवी, नंदा देवी, कालिका देवी, कोकिला देवी ये सात बहनें थी। बहनों में कोकिला देवी सबसे छोटी बहन थी। कोकिला देवी मंदिर, छिपला कोट के हृदय में स्थित गांव कनार में विराजमान हैं। छिपला जात यात्रा कोकिला...

उत्तराखंड में केदारनाथ धाम मंदिर के खुले कपाट, जिसमें केवल रावल, मुख्य पुजारी और डीएम हुए शामिल

उत्तराखंड में केदारनाथ धाम मंदिर के खुले कपाट, जिसमें केवल रावल, मुख्य पुजारी और डीएम हुए शामिल  आज 17-05-2021 सोमवार को भगवान भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ भगवान केदारनाथ धाम के कपाट विधि-विधान के साथ अगले छह माह के लिए खोल दिए गए है। बाबा केदार की छह माह की पूजा-अर्चना धाम में ही होगी।  कोरोना महामारी से बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों के बीच कपाटों का उद्धघाटन परंपराओं के साथ हुआ। इस वर्ष भी श्रद्धालु इस पावन क्षण के साक्षी नहीं बन पाए। सोमवार सुबह 5 बजे मेष लग्न में धाम के कपाट खोल दिए गए। महाकाल ग्रुप ऋषिकेश द्वारा गुलाब, गेंदा, बसंती व कमल के मंदिर को 11 कुंटल फूलों से सजाया गया है। आज सोमवार को सुबह तीन बजे से केदारनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना शुरू हूई। मुख्य पुजारी बागेश लिंग द्वारा केदारनाथ बाबा की समाधि पूजा के साथ अन्य धार्मिक कार्य पूरे किए गए।  इसके बाद निर्धारित समय पर सुबह 5 बजे रावल भीमाशंकर लिंग, जिलाधिकारी मनुज गोयल और देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य अधिकारी बीडी सिंह समेत अन्य आला अधिकारियों की मौजूदगी में केदारनाथ धाम के कपा...

केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली हुई केदारनाथ धाम के लिए रवाना | केदारनाथ यात्रा 2021

केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली हुई केदारनाथ धाम के लिए रवाना | केदारनाथ यात्रा 2021 नमस्कार दोस्तों भगवान श्री केदारनाथ जी की पंचमुखी मूर्ति की डोली केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो चुकी है।  भगवान श्री केदारनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए गौरीकुंड पहुंच गई। विश्व की महामारी कोरोना संक्रमण के कारण लगातार दूसरी बार प्रशासन व पुलिस की निगरानी में डोली को वाहन से पहुंचाया गया। बाबा केदारनाथ की डोली आज शनिवार को अपने धाम पहुंच जाएगी। और 17 मई को सुबह 5 बजे विधि-विधान के साथ केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद छह माह तक धाम में ही आराध्य की पूजा-अर्चना होगी। शुक्रवार सुबह 5.30 बजे से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह में बाबा केदार की भोगमूर्तियों का सामूहिक अभिषेक किया गया। इस मौके पर पुजारियों ने बाबा को महाभोग लगाते हुए आरती उतारी। इसके बाद गर्भगृह से भगवान केदारनाथ की भोगमूर्तियों को मंदिर के पुजारी टी. गंगाधर लिंग एवं शिव शंकर लिंग द्...

कोरोना वायरस पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की बात सुन कर लोग चौंक गए।

कोरोना वायरस पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की बात सुन कर लोग चौंक गए। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा कोरोना वायरस पर किये गए एक बयान के कारण वह काफी चर्चा में बने हुए है। वैसे भी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पहले से ही अपने बयानों के कारण चर्चे में रहते है और आजकल इस बयान में तो वो और भी चर्चा में आ गए है। एक वायरल हो रहे वीडियो में त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते दिखते हैं कि " दार्शनिक पक्ष है। कोरोनावायरस भी एक प्राणी है, हम भी एक प्राणी हैं। हम अपने आपको ज़्यादा बुद्धिमान समझते हैं।   हम समझते हैं , हम ही सबसे ज़्यादा बुद्धिमान हैं लेकिन वो प्राणी भी जीना चाहता है। और उसे भी जीने का अधिकार है। हम उसी के पीछे लगे हैं। वो अपने बचने के लिए रूप बदल रहा है। वो बहुरूपिया हो गया है। इसलिए हमको इस वायरस से दूरी बनाकर चलना पड़ेगा। वो भी चलता रहा , हम भी चल रहे हैं लेकिन हमारी चाल तेज़ होनी चाहिए , हम तेजी से आगे बढ़ें , ताकि वो पीछे छूट जाए। " ये कोरोनावायरस भी प्राणी है। वो प्राणी भी जीना चाहता है और उसको भ...

उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहार कौन - कौन से है?

उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहार कौन - कौन से है? नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहारों के बारे में बताएंगे। उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहार- 1. मकर संक्रांति ( घुघुतिया त्यौहार )- यह त्योहार कुमाऊँ क्षेत्र में माघ माह की 1 गते ( जनवरी ) को मनाया जाता है। स्थानीय भाषा में घुघुतिया त्यौहार या ' घुघुती ' त्यार या ' काले - कौआ त्यौहार भी ' कहा जाता है। इस त्यौहार में आटे के घुघुत बनाये जाते हैं व बच्चे इन घुघुत को कोऔं को खिलाते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे ' खिचड़ी ' त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। 2. घी - संक्राति ( ओलगिया )- यह त्यौहार भादों ( भाद्रपद ) महीने 1 गते ( संक्राति ) को मनाया जाता है। इस दिन पूरे उत्तराखंड खाना शुभ माना जाता है। घी त्योहार फसल में बलिया लग जाने पर मनाया जाता है। इस दिन सब लोग घी खाते है। 3. फूल संक्राति ( फूलदेई )-  फूलदेई त्यौहार चैत्र मास के 1 गते ( हिन्दू वर्ष का प्रथम दिन ) को मनाया जाता है। इस दिन बच्चे घर घर जाकर देहरी पर फूलों को रखते हैं। 4. बिखोती ( विषुवत संक्राति )- बिखो...

श्री ग्वेल देवता की आरती

श्री ग्वेल देवता की आरती ओम जय श्री गोलू देवा, स्वामी जय श्री गोलू देवा, शरणागत हम स्वामी, स्वीकारो सेवा ।।   ओम जय श्री गोलू देवा, स्वामी जय श्री गोलू देवा ।। वंश कत्यूरी तुमरो, धूमाकोट वासी, जय जय हे करुणाकर ! जय जय सुखराशी ।। ओम जय श्री गोलू देवा, स्वामी जय श्री गोलू देवा ।। हलराई के पोते, पिता झालरायी, तपस्विनी कालिंका माता कहलायी ।।  ओम जय श्री गोलू देवा, स्वामी जय श्री गोलू देवा ।। नाम अनेक तुम्हारे ग्वेल गोलू गोरिल,  गोरे भैरव, दूधाधारी, बाल गोरिया, न्यायिल ।। ओम जय श्री गोलू देवा, स्वामी जय श्री गोलू देवा ।। श्वेत अश्व आरूढ़ी, जयति धनुर्धारी । भेंट चढ़े ध्वज घंटी, मिष्ठान्न अरु मेवा ।। ओम जय श्री गोलू देवा, स्वामी जय श्री गोलू देवा ।। द्वार खड़े हम तुमरे , स्वीकारो सेवा ,  शरणागत आरत की पीर हरो देवा ।।  ओम जय श्री गोलू देवा, स्वामी जय श्री गोलू देवा ।। ओम जय श्रीगोलू देवा , स्वामी जय श्री गोलू देवा शरणागत हम स्वामी , स्वीकारो सेवा ।।  ओम जय श्री गोलू देवा, स्वामी जय श्री गोलू देवा ।।

उत्तराखंड गढ़वाल के प्रमुख मेलें

उत्तराखंड गढ़वाल के प्रमुख मेलें नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड गढ़वाल के प्रमुख मेलों के बारे में बताएंगे। गढ़वाल के प्रमुख मेलें- देहरादून के प्रमुख मेलें- 1. झंडा मेला-   झंडा मेला देहरादून में प्रतिवर्ष होली के 5 वें दिन बाद आयोजित होता है। यह मेला सिक्ख गुरु रामराय जी के जन्मदिवस पर प्रारम्भ होता है जो कि 15 दिनों तक चलता है। इसी दिन गुरु राम राय जी का आगमन देहरादून में हुआ। गुरु राम राय देहरादून में 1676 में आये थे। इस मेले में पंजाब के कई भक्त देहरादून आते हैं जिन्हें ' संगत ' कहते हैं। 2. नुणाई मेला-  नुणाई मेला देहरादून के जौनसार ( चकराता ) में श्रावण मास को आयोजित किया जाता है। 3. टपकेश्वर मेला-  टपकेश्वर मेला देहरादून में देवधारा नदी के किनारे एक गुफा में स्थित शिव मंदिर में लगता है। इस गुफा में एक शिवलिंग है जिसमें पानी की बूंदे एक चट्टान से टपकती हैं। इसलिये इस मंदिर का नाम टपकेश्वर मंदिर है। 4. भद्रराज मेला-  भद्रराज मेला देहरादून के मसूरी से 15Km दून भद्रराज मन्दिर में आयोजित किया जाता है। यह मंदिर भगवान बालभद्र को सपर्पित...

उत्तराखंड खबर | कैंची धाम में फटा बादल मंदिर परिसर क्षतिग्रस्त

उत्तराखंड खबर | कैंची धाम में फटा बादल मंदिर परिसर क्षतिग्रस्त उत्तराखंड से बड़ी खबर आ रही है, कैंची धाम में फटा बादल  उत्तराखंड के नैनीताल जिले के भवाली में कैंची धाम मंदिर जो कि बाबा नीब करोरी जी को समर्पित है। वंहा मंदिर के आस - पास बादल फटने से मंदिर परिसर में क्षति की खबर आ रही है।  रामगढ़ व कैंची में बादल फटा , भारी मलबा आने से हल्द्वानी - अल्मोड़ा एनएच बंद , पुलिस ने रोका यातायात। आजकल उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते आजकल उत्तराखंड में जगह - जगह बादल फट जा रहे हैं। जिससे जनमानस को बहुत ही क्षति पहुँच रही है।  उत्तराखंड में भारी बारिश से बहुत नुकसान हो रहा है। फसले और फल सब्जी सब खराब हो जा रहे है। जिससे उत्तराखंड के वासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कैंची धाम में बादल फटने से जनमानस की क्षति की अभी कोई खबर नहीं है। प्रसिद्ध कैंची धाम में बुधवार शाम को करीब एक घंटे तक जोरदार बारिश व ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ है। मलबे से हाइवे बंद है। स्थानीय लोगों के अनुसार बादल फटने से बड़ी मात्रा में मलबा आने से मुख्य मंदिर के पीछे मलबा भर गया। हल्द्...

उत्तराखंड कुमाऊँ के प्रमुख मेलें

उत्तराखंड कुमाऊँ के प्रमुख मेलें नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड कुमाऊँ के प्रमुख मेलों के बारे में बताएंगे। कुमाऊँ के प्रमुख मेले- पिथौरागढ़ के प्रमुख मेले- 1. जौलजीवी मेला-   जौलजीवी मेला पिथौरागढ़ जनपद में लगता है। यह मेला प्रतिवर्ष 14-19 नवम्बर को काली एवं गोरी नदी के संगम स्थल पर लगता है। जौलजीवी मेले की शुरुआत सर्वप्रथम 1914 में हुई जौलजीवी मेले को प्रारम्भ करने का श्रेय गजेंद्र बहादुर को जाता है। 2. थल मेला-  थल मेला पिथौरागढ़ जनपद के बालेश्वर थल मन्दिर में बैशाखी के दिन लगता है। इस मेले की शुरुआत 13 अप्रैल 1940 को जलियांवाला बाग दिवस मनाये जाने के बाद हुई प्रारम्भ में यह मेला 20 दिन तक चलता था। 3. बौराड़ी मेला-  बौराड़ी मेला पिथौरागढ़ जनपद बौराड़ी नामक सान पर सैम देवता के मंदिर में लगता है। यह मेला दीपावली के 15 दिन बाद शुरू होता है। अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मेले- 1. गणनाथ का मेला-  गणनाथ का मेला अल्मोड़ा जनपद के गणनाथ में प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा में लगता है। इस मेले में स्त्रियां रात भर हाथ में दीपक लेकर पुत्र प्राप्ति हेतु पू...

उत्तराखंड में 15 दिनों के लिए लग सकता है कंप्लीट लॉकडाउन, बढ़ रहा है कोरोना का संक्रमण।

उत्तराखंड में 15 दिनों के लिए लग सकता है कंप्लीट लॉकडाउन, बढ़ रहा है कोरोना का संक्रमण। उत्तराखंड में 26 अप्रैल से लगे आंशिक लॉकडाउन में कोरोना की चैन नहीं टूटी है। कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे है। अब उत्तराखंड सरकार 15 दिनों के लिए कंप्लीट लॉकडाउन करने पर विचार कर रही है। उत्तराखंड से आज की यह बड़ी खबर भी सामने आ रही है कि कोरोनावायरस कोविड -19 के बढ़ते प्रकोप के बीच उत्तराखंड राज्य सरकार ने 18 मई तक पूरे राज्य में कोविड -19 कर्फ्यू ! लगाने की बात कही है 11 मई से 18 मई तक पूरे प्रदेश में सख्ती के साथ कोविड -19 जारी रहेगा।  सिर्फ कल 1 बजे तक खुलेंगी फल , दुध , सब्जी , मास मछली और आवश्यक सेवाओ की दुकानें। शराब और बार पूर्ण रूप से बंद। इसके अलावा अंतरराज्यीय परिवहन में 50 फीसदी अनुमति , कारण बताना पड़ेगा। 13 मई को केवल 1 बजे तक राशन की दुकानें खुली रहेगी। उत्तराखंड राज्य में आज फिर 5890 नए संक्रमण के मामले सामने आए हैं जबकि 180 लोगों की पिछले 24 घंटे में मौत हो चुकी है और 2731 लोग संक्रमण मुक्त हुए है।  स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार आज अल्मोड़ा में 80 बागेश्वर में 5 च...

Uttarakhand News | Corona के बन रहे रोज नए रिकॉर्ड , एक दिन में हुई 151 की मौतें

Uttarakhand News | Corona के बन रहे रोज नए रिकॉर्ड , एक दिन में हुई 151 की मौतें उत्तराखंड में मिल रहे रिकॉर्ड कोरोना मामले मिल रहे है , गुरुवार को कोरोना के 8 हजार 517 मामले सामने आए है, और 151 लोगों की मौतें हुई है , बता दे की देहरादून में सबसे ज्यादा 3123 नए केस आए है। वहीं, 4643 ठीक हुए हैं। प्रदेश में अब संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 229993 हो गई है। हालांकि, इनमें से 154132 संक्रमित पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में 67691 केस एक्टिव है, जबकि 3430 की अब तक मौत हो चुकी है। इसके अलावा 4740 मरीज राज्य से बाहर जा चुके हैं।  कोविड की घातक लहर को देखते हुए, उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में सात मई से 12 जून तक ग्रीष्मअवकाश घोषित कर दिया है। कॉलेज अप्रैल तीसरे सप्ताह से ही बंद चल रहे हैं। कोविड संक्रमण रोकने के लिए सरकार पहले ही विश्वविद्यालय, कॉलेजों में बंदी लागू कर चुकी थी, अब उच्च शिक्षा विभाग ने जल्द हालात काबू न आते देख अभी से ग्रीष्मकालीन अवकाश भी लागू कर दिया है। पहले ग्रीष्मकालीन अवकाश आमतौर पर जून- जुलाई में होता था। उप सचिव शिव स्व...

उत्तराखंड के शक्तिशाली देवता भोलानाथ देवता की कहानी

उत्तराखंड के शक्तिशाली देवता भोलानाथ देवता की कहानी नमस्कार दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में उत्तराखंड के शक्तिशाली देवता भोलानाथ देवता के बारे में बताएंगे। भोलानाथ देवता कुमाऊँ के एक सर्वाधिक पूज्य और लोकप्रिय देवता है। यह अनेक कुलो के ईस्ट देवता भी है। इनकी स्त्री का नाम बरमी है। उत्तराखंड के कुमाऊँ में परम्परा है कि घरों में कोई भी शुभ कार्य होने से पहले भोलानाथ देवता को रोट भेंट अवश्य चढाया जाता है। और भोलानाथ देवता को लोग भ्वलनाथ देवता के नाम से भी पूजते है। भोलानाथ देवता हमारे कुमाऊँ में हरज्यूँ देवता और सैम देवता के समान ही पूजे जाते है। इनकी शक्ति अपरम्पार है।  देवगाथाओं और जागर गाथाओं से यह ज्ञात होता है कि यह चन्द्रवंशी राजा उदयचंद के पुत्र थे। भ्वलनाथ एक राजकुमार थे। जो साधु प्रकृति होने के कारण जोगी हो गए थे। राजा उदयचंद की दो रानियाँ थी। दोनों को एक - एक पुत्र थे इनमें से बड़े पुत्र का नाम भोलानाथ व छोटे पुत्र का नाम ज्ञानचंद था। भोलानाथ देवता के भोले साधू व सरल स्वभाव के कारण ही लोग इन्हें भोलानाथ या भ्वलनाथ कहते थे। यह कहा जाता है कि इनका छोटा भाई ज्ञानचंद...

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने क्यों दिया इस्तीफा ?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने क्यों दिया इस्तीफा ? उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आख़िरकार इस्तीफा क्यों दिया?  अवधि काल- 18 मार्च 2017 – 10 मार्च 2021   09 मार्च 2021 को दोपहर बाद 4 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा देने के बाद आयोजित पीसी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मैंने अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप दिया है।  इसके बाद सब लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा क्यों दिया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि मैं लंबे समय से राजनीति कर रहा हूं। चार वर्षों से पार्टी ने मुझे सीएम के रूप में सेवा का मौका दिया। मैं कभी सोच नहीं सकता था कि मैं कभी सीएम बन सकता हूं, लेकिन भाजपा ने मुझे सेवा करने का मौका दिया। पार्टी ने अब निर्णय लिया है कि सीएम के रूप में सेवा करने का अवसर अब किसी और को दिया जाना चाहिए। हालांकि, जब इस्तीफा देने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह जानने के लिए आपको दिल्ली...